मणिपुर सरकार का बड़ा ऐलान: सीएम एन बीरेन सिंह का बड़ा बयान, 1961 के बाद बाद मणिपुर में बसने वाले होंगे बाहर

  • 1961 के बाद बाद मणिपुर में बसने वाले होंगे बाहर
  • सीएम एन बीरेन सिंह का बड़ा बयान
  • मणिपुर में शांति बहाल करने की कोशिश में जारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-13 14:37 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि राज्य में 1961 के बाद बसने वाले लोगों को निर्वासित(राज्य से बाहर) किया जाएगा। सीएम का यह फैसला मणिपुर के जातीय समुदायों की रक्षा के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि, राज्य में करीब 9 महीने से हिंसा हो रही है। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री एन. बीरेन को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। सीएम ने हिंसा का जिम्मेदार ड्रग माफिया और अवैध प्रवासियों, विशेष रूप से म्यांमार के शरणार्थियों को ठहराया था।

1961 बेस ईयर के रूप में करता है काम

सीएम ने ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 का हवाला देते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान लागू आईएलपी मणिपुर में बिना मंजूरी के गैर-मूल निवासियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करता है। हालांकि, इसे 1950 में मणिपुर से हटा दिया गया था। लेकिन केंद्र सरकार ने व्यापक विरोध के बाद इसे 2019 में फिर से लागू करने की घोषणा की थी। उसके बाद 1 जनवरी 2020 से मणिपुर में फिर से आईएलपी लागू हुआ। राज्य सरकार ने 2022 में आईएलपी के तहत प्रवासियों के लिए 1961 को बेस ईयर माना है।

क्या होता है आईएलपी?

आईएलपी ‘इनर लाइन परमिट’ जिस राज्य में लागू होता है। वहां बिना परमिशन के गैर-मूल निवासियों की एंट्री पर रोक होती है। बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 के तहत ब्रिटिश शासन के दौरान इसे लागू किया गया था। मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में भी आईएलपी ‘इनर लाइन परमिट’ लागू है।

"हमें जिंदा रहना है, हमें जीना है"

मुख्यमंत्री एन. बीरेन ने कहा, “हर कोई जानता है कि हम कठिन समय से गुजर रहे हैं। फिर भी हमें जिंदा रहना है, हमें जीना है। आज जो हो रहा है वह अस्तित्व और पहचान की लड़ाई है।” सीएम ने कहा कि सदियों से विरासत में मिली संपत्तियां और पहचान अब कुछ राजनेताओं की दूरदर्शिता की कमी के कारण असुरक्षित हो गई हैं। हमारी आज की पीढ़ी असुरक्षित है। इसलिए सरकार आपके भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए काम कर रही है।

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