UAPA का क़ानून: एआईएमआईएम चीफ सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने यूएपीए को लेकर पीएम मोदी पर कसा तंज, यूएपीए के तहत गिरफ्तारियों पर जताई चिंता
- बुकर पुरस्कार जीतने वाली लेखिका अरुंधति रॉय पर यूएपीए
- कश्मीर केंविवि के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मामला दर्ज
- एआईएमआईएम चीफ ने चुनावी नतीजों से सबक लेने की बात कही
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। एआईएमआईएम चीफ ने यूएपीए के तहत हिरासत में लिए गए मुसलमानों, आदिवासियों और दलितों को लेकर चिंता जताई। ओवैसी ने पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि उनको उम्मीद थी कि मोदी लोकसभा चुनाव के नतीजों से कुछ सीख लेंगे, लेकिन उन्होंने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि UAPA का क़ानून आज फिर से चर्चा में है। यह एक इंतिहाई बेरहम क़ानून है जिसकी वजह से न-जाने कितने हज़ार मुसलमान, दलित और आदिवासी नौजवानों को जेल में बंद करके उनकी ज़िंदगियां बर्बाद करदी गई। यह क़ानून एक 85 वर्षीय स्टैन स्वामी की मौत का कारण बना। इस क़ानून को कांग्रेस सरकार ने 2008 और 2012 में और भी सख़्त बनाया था, मैंने तब भी उसकी मुख़ालिफ़त की थी। 2019 में भाजपा ने फिर से इस पर ज़्यादा सख़्त प्रावधान/दफ़'आत लाए थे तब कांग्रेस ने भाजपा का साथ दिया था। मैंने तब भी इस क़ानून का विरोध किया था। अगर, मोदी 3.0 से ये उम्मीद थी कि वो चुनाव के नतीजों से कुछ सीखेंगे, तो इन्होंने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया। ज़ुल्म और ज़्यादतियों का ये सिलसिला जारी रहेगा।
UAPA का क़ानून आज फिर से चर्चा में है। यह एक इंतिहाई बेरहम क़ानून है जिसकी वजह से न-जाने कितने हज़ार मुसलमान, दलित और आदिवासी नौजवानों को जेल में बंद करके उनकी ज़िंदगियां बर्बाद करदी गई। यह क़ानून एक 85 वर्षीय स्टैन स्वामी की मौत का कारण बना।इस क़ानून को कांग्रेस सरकार ने 2008…— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 15, 2024
आपकको बता दें बीते दिनों एक 14 साल पुराने मामले में दिल्ली के एलजी वी के सक्सेना ने बुकर पुरस्कार जीतने वाली लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. लेखिका अरुंधति रॉय और पूर्व प्रोफेसर पर चलाया जा रहा ये मुकदमा 14 साल पुराना है. जब 2010 में दोनों ने दिल्ली के एक ऑडिटोरियम में भड़काऊ भाषण दिए थे. इन्होंने कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है।