लोकसभा मानसून सत्र: '2009 के बजट में 26 राज्यों के नाम नहीं लिए गए', मोदी 3.0 के बजट पर निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब

  • संसद में बजट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया भाषण
  • केंद्रीय बजट पर विपक्ष के आरोपों पर भी दिया जवाब
  • बजट में दो राज्यों को शामिल करने पर भी दिया बयान

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-30 19:02 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार के अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रबंधन और बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय के कारण कोविड महामारी के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। इस दौरान उन्होंने वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट को लेकर विपक्ष के सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बजट में किसी राज्य का नाम नहीं होने का मतलब यह नहीं है, उसे कोई आवंटन नहीं हुआ है।

वित्त मंत्री ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब

वित्त मंत्रालय ने कहा, " चालू वित्त वर्ष के लिए कुल 48.21 लाख करोड़ रुपये के बजट में सामाजिक और भौगोलिक समावेश पर जोर है. यानि हर वर्ग और क्षेत्र का ध्यान दिया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रबंधन और बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय के कारण महामारी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है। आज हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं।"

इसके बाद उन्होंने कहा, "हमारी आर्थिक वृद्धि न केवल बेहतर है बल्कि हम राजकोषीय घाटे को कम करने के रास्ते पर भी हैं। उल्लेखनीय है कि 2023-24 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है और भारत ने दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाले प्रमुख देश का दर्जा बरकरार रखा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम राजकोषीय मजबूती के तहत 2025-26 में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में इसके 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका श्रेय बेहतर अर्थव्यवस्था प्रबंधन को जाता है।"

शिक्षा के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान 

संबोधन के दौरान वित्त मंत्री ने बजट को लेकर विपक्षी दलों के सामाजिक क्षेत्रों के लिए कम करने के आरोपों को गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि बजट दस्तावेज इसके विपरीत है। केंद्रीय बजट में इस बार शिक्षा के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान बनाया गया है, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष से अधिक है। इसके बाद उन्होंने कहा, "विपक्षी सदस्यों ने कहा कि बजट में केवल दो राज्यों को पैसा दिया गया है। यह कुछ और नहीं बल्कि लोगों को गुमराह करने का काम है।"

उन्होंने कहा, "2004-05 के बजट में 17 राज्यों का नाम नहीं था...2010-11 के बजट में 19 राज्यों का जिक्र नहीं था, 2014-15 में 10 राज्यों का जिक्र नहीं है।’’ सीतारमण ने कहा, ‘‘यह सबको पता है कि तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की गलत नीतियों से महंगाई दहाई अंक के करीब चली गयी थी लेकिन आज यह काफी हद तक नियंत्रण में है। यह सरकार की बेहतर नीतियों का नतीजा है।"

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