अपराध: पुणे पोर्श हादसा आरोपी के राजनीतिक संबंध सामने आने पर कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की

महाराष्ट्र कांग्रेस ने सत्तारूढ़ महायुति सरकार पर पुणे में दो लोगों की जान लेने वाली पोर्श कार हादसे की जांच को पटरी से उतारने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को मांग की कि इस सनसनीखेज मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया जाए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-28 13:47 GMT

मुंबई, 28 मई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र कांग्रेस ने सत्तारूढ़ महायुति सरकार पर पुणे में दो लोगों की जान लेने वाली पोर्श कार हादसे की जांच को पटरी से उतारने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को मांग की कि इस सनसनीखेज मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया जाए।

राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना एफ पटोले ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के इस्तीफे की अपनी मांग दोहराई, क्योंकि पुलिस जांच में आरोपी के राजनीतिक संबंध सामने आए हैं।

उन्‍होंने कहा, “शराब और नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों द्वारा चलाई जा रही तेज रफ्तार कारों के नीचे आम लोगों को बेरहमी से कुचला जा रहा है। पुणे, नागपुर और जलगांव में ऐसे हादसे हो चुके हैं। सबसे क्रोधित करने वाला पहलू यह है कि सरकारी तंत्र द्वारा आरोपियों को जमानत दिलाने में मदद करने के प्रयास किए गए, इसलिए सीबीआई इस मामले को अपने हाथ में ले।”

पटोले ने सरकार पर पुणे और नागपुर में बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की अवैध बिक्री व फलते-फूलते अनधिकृत पब/बार को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पोर्श मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में आने के बाद ऐसे 36 आउटलेट्स तोड़े गए।

हाल ही में नागपुर में एक कार की चपेट में आने से दो लड़कियों की मौत हो गई और आरोपियों को महज 10 घंटे में जमानत मिल गई और जलगांव में इसी तरह के एक दुर्घटना मामले में आरोपियों को बचाने की पूरी कोशिश की गई।

पुणे पोर्श मामला, जो लगभग हर दिन नया मोड़ ला रहा है, महायुति की घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक सुनील टिंगरे की भूमिका संदेह के घेरे में है।

उस दुर्घटना के बमुश्किल कुछ घंटों के बाद, जिसमें नाबालिग लड़के को गिरफ्तार किया गया था, टिंगरे कथित तौर पर 19 मई के शुरुआती घंटों में यरवदा पुलिस स्टेशन गए थे।

इसके अलावा, टिंगरे ने अपनी पार्टी के नेता और चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ को पत्र लिखकर सरकार द्वारा संचालित अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) के पद पर नियुक्‍ति के लिए ससून जनरल अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तवारे के नाम की सिफारिश की थी, जो गिरफ्तार हो चुके हैं।

पत्र की प्रतियां सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं, जिससे एनसीपी के शीर्ष अधिकारियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। हालांकि सरकार ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, जबकि डॉ. तवारे, उनके सहयोगी डॉ. श्रीहरि हलनोर और एक चपरासी अतुल घाटकांबले को नाबालिग अभियुक्त के रक्त का नमूना बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

मुश्रीफ ने आश्‍वासन दिया है कि दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि सरकार उनके खिलाफ निलंबन और विभागीय जांच पर विचार कर रही है, इसके अलावा डॉ. पल्लवी सपले के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एक विशेष टीम द्वारा जांच की जाएगी। टीम ने मंगलवार को अपना काम शुरू कर दिया है।

पटोले की प्रेसवार्ता में राज्‍यसभा सांसद चंद्रकांत हंडोरे, अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष वजाहत मिर्जा, पूर्व सांसद हुसैन दलवई, मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे और अन्य मौजूद थे।

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