राजनीति: मल्लिकार्जुन खड़गे का आरोप, सरकार खुद संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रही
संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इसकी शुरुआत 25 नवंबर से हो गई है। बार-बार संसद की कार्यवाही स्थगित को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार खुद संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रही है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इसकी शुरुआत 25 नवंबर से हो गई है। बार-बार संसद की कार्यवाही स्थगित को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार खुद संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रही है।
संसद की कार्यवाही समय से पहले स्थगित होने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "मेरा आरोप है कि अगर 2 मिनट में सत्र स्थगित हो जाता है तो उन्हें इसे जारी रहने देना चाहिए। सरकार खुद 5 मिनट में स्थगित हो जाती है। क्या आपने कभी ऐसा सुना है? कितने लोग वहां आए हैं, वे व्यवधान डाल रहे हैं और चर्चा नहीं होने दे रहे हैं, इसलिए यह उनकी गलती है, हमारी नहीं। सदन को चलाने के लिए उन्हें विपक्ष को विश्वास में लेकर हर संभव प्रयास करना चाहिए।"
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस का कोई प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के संभल जाएगा। इस पर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जाएगा, जाएगा।
बता दें कि रविवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली के रामलीला मैदान में संविधान की रक्षा के लिए महारैली को संबोधित करते हुए कहा था कि हमें एक रहकर संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करनी है। अगर संविधान और लोकतंत्र नहीं बचा, तो हमारी हिस्सेदारी और भागीदारी भी नहीं बचेगी।
अंग्रेजों के जमाने में सिर्फ कुछ लोगों को ही वोटिंग का अधिकार था, जिनमें जमींदार और अमीर लोग हुआ करते थे। लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री बनने के बाद सार्वभौमिक मताधिकार के साथ सभी को वोटिंग का अधिकार दिया था।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जातिगत आधारित जनगणना की बात की तो पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम देश को तोड़ने की बात कर रहे हैं। लेकिन, हम देश को तोड़ने की नहीं, देश को जोड़ने की बात कर रहे हैं। जातिगत आधारित जनगणना से पता चलेगा कि किसकी कितनी भागीदारी और हिस्सेदारी है, ताकि उनके लिए बेहतर काम किया जा सके।
उन्होंने आगे कहा था कि देश की एकता को तोड़ने में नरेंद्र मोदी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हमारी लड़ाई उनकी फैलाई गई नफरत के खिलाफ है, जिसके लिए राजनीतिक शक्ति बेहद जरूरी है। अगर बाबासाहेब अंबेडकर संविधान के रूप में आपको मताधिकार नहीं देते, तो देश में लोग बड़े और शक्तिशाली पदों पर नहीं बैठे होते।
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