राजनीति: मोहन भागवत को बयान सोच-समझ कर देना चाहिए क्लाइड क्रेस्टो

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता और प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान, महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात और महायुति गठबंधन पर अपनी राय रखी।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-12-02 18:35 GMT

मुंबई, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता और प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान, महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात और महायुति गठबंधन पर अपनी राय रखी।

क्लाइड क्रेस्टो ने मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण वाले बयान पर कहा कि उन्हें अपने बयानों में सावधानी बरतनी चाहिए। मोहन भागवत को बयान सोच-समझ कर देना चाहिए, क्योंकि उनके बयानों को एक वर्ग का अनुसरण करने वाला समुदाय गंभीरता से लेता है। ऐसे में यह जरूरी है कि वह कोई भी बयान देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह किसी को तकलीफ न पहुंचाए।

उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान राजनीति से जुड़ा हुआ लगता है, क्योंकि पहले वह कुछ कहते थे और अब कुछ और कह रहे हैं। राजनीति के लिए बयानबाजी करना गलत है, हमें देश के हित में बयान देना चाहिए।

क्लाइड क्रेस्टो ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के बारे में भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महायुति को बहुमत मिलने के बावजूद सरकार का गठन अब तक नहीं हो पाया है, जो बहुत ही दुखद है। हम देख रहे हैं कि भाजपा ने अभी तक विधायक दल का नेता नहीं चुना और न ही सरकार बनाने का दावा किया है। राज्यपाल ने भी उन्हें अभी तक सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया है। चंद्रशेखर बावनकुले ने तो सिर्फ 5 दिसंबर को शपथ ग्रहण की बात कही है, लेकिन यह नहीं बताया कि कौन मुख्यमंत्री होगा।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र भाजपा नेतृत्व पर दिल्ली का विश्वास नहीं है, यही कारण है कि उन्हें विजय रुपाणी और निर्मला सीतारमण को महाराष्ट्र में ऑब्जर्वर नियुक्त करना पड़ा। अब सवाल यह उठता है कि देवेंद्र फडणवीस का क्या होगा? एकनाथ शिंदे का चेहरा चुनाव के दौरान तो प्रमुख था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है। यह महाराष्ट्र के लोगों के साथ मजाक जैसा है। चुनाव परिणाम आने के बाद से सरकार का गठन नहीं हो पाया है, इससे साफ है कि महायुति के अंदर कुछ ठीक नहीं है। महायुति में अंतर्विरोध बढ़ते जा रहे हैं और यह महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक चिंताजनक संकेत है।

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