शिक्षा: 'शिक्षा' विकसित भारत के लक्ष्य का एक प्रमुख स्तंभ है धर्मेंद्र प्रधान

स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक अहम बैठक की। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मातृभाषा और सभी भारतीय भाषाओं में शिक्षा के महत्व पर जोर देती है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-09 14:11 GMT

नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)। स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक अहम बैठक की। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मातृभाषा और सभी भारतीय भाषाओं में शिक्षा के महत्व पर जोर देती है।

उन्होंने एनईपी की मूल भावना अर्थात शिक्षा में पहुंच, समानता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

मंगलवार को हुई इस बैठक के दौरान पंचवर्षीय कार्य योजना, 100 दिवसीय कार्य योजना, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए समग्र शिक्षा के तहत बुनियादी ढांचे और नागरिक कार्यों, आईसीटी और स्मार्ट कक्षाओं की प्रगति की स्थिति के साथ-साथ वीएसके और 200 चैनलों की स्थिति एवं स्थापना पर चर्चा हुई।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की यह समीक्षा बैठक ली। यहां शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी भी उपस्थित रहे। प्रधान ने पूरे देश में स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप के बारे में विचार साझा किए।

उन्होंने कहा कि 'शिक्षा' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन का एक प्रमुख स्तंभ है। उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लगभग चार वर्षों में देश में शिक्षा इकोसिस्‍टम ने जबरदस्त प्रगति की है। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान और समावेशी पहुंच को सक्षम बनाने की कुंजी है। भारत एक युवा देश है और हमारी चुनौती 21वीं सदी की दुनिया के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करना है, जो तेजी से बदल रही हैं क्‍योंकि यह सदी प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित हो रही है।

उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित की जाए जो जमीनी और आधुनिक दोनों ही हो। उन्होंने समग्र दृष्टिकोण के साथ स्कूलों में प्रौद्योगिकी तत्परता और छात्रों के बीच महत्‍वपूर्ण सोच सुनिश्चित करने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने यह अनुरोध किया कि राज्यों और केंद्र दोनों को ही शिक्षा इकोसिस्‍टम को मजबूत बनाने के साथ-साथ सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सर्वोत्तम प्रथाओं को दोहराने और उन्‍हें बढ़ाने के लिए एक टीम के रूप में काम करना चाहिए।

उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी हितधारकों से क्षमताओं को मजबूत करने, एक सहयोगी शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने और विकसित भारत के प्रमुख स्तंभ के रूप में शिक्षा का लाभ उठाने के लिए एकजुट होकर काम करने का भी आह्वान किया। योग्यता आधारित शिक्षा के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी कौशल क्षमताओं को भी बढ़ाना चाहिए।

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