Vinesh Phogat ki Jivani: जुलाना सीट से की विनेश फोगाट ने जीत हासिल, जानें कैसा रहा खेल से राजनीति तक का सफर

  • विनेश फोगाट ने की जुलाना विधानसभा सीट से जीत हासिल
  • मुश्किलों भरी रही जर्नी
  • विनेश के राजनीति में कदम रखने से लोग हुए थे हैरान

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-08 09:03 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों पर मतदान के बाद 8 अक्‍टूबर को वोटों की गिनती जारी है। इस बीच हरियाणा में सबसे ज्‍यादा चर्चा में रहने वाली जुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट ने  जबरदस्त जीत हासिल की है। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी योगेश बैरागी को हरा कर ये जीत हासिल की है। जुलाना विधानसभा सीट पर कुल 15 चरणो में वोटों की गिनती होनी थी। बता दें, इलेक्‍शन कमीशन के मुताबिक, छह चरणों तक विनेश फोगाट पीछे थीं। वहीं सातवें चरण से बीजेपी के प्रत्याशी योगेश बैरागी को पीछे छोड़कर विनेश फोगाट आगे आईं और जीत हासिल की।

मच गया था तहलका

हरियाणा की राजनीति में विनेश फोगाट के कांग्रेस में कदम रखते ही तहलका मच गया था। कुछ दिनों पहले पेरिस ओलंपिक 2024 में एक दम आखिर में आकर डिस्क्वालिफाई हो गई थीं। जिससे विनेश काफी दुखी हुई थीं। कई लोगों को लगा कि वो एक बार फिर से खेल में वापसी करेंगी। लेकिन विनेश के तो अलग ही प्लान्स थे। विनेश ने खेल से रिटायरमेंट लेकर कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन कर लिया और जुलाना विधानसभा सीट से टिकट भी ले लिया। लेकिन इस जगह पर आना विनेश के लिए बिल्कुल भी आसान रास्ता नहीं रहा है। विनेश ने काफी दर्द झेलकर ये मुकाम हासिल किया है।

जर्नी में किया मुश्किलों का सामना

उनको अपनी जर्नी में परेशानी तब उठानी पड़ी जब उन्होंने अपने साथी पहलवान के साथ साल 2023 की शुरूआत में भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विद्रोह किया था। विनेश के साथ-साथ बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक भी शामिल थे। इन सबका ब्रजभूषण पर एक ही आरोप था कि ब्रजभूषण ने महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है। साथ ही इसके खिलाफ मुकदमा भी चलना चाहिए। उस समय विनेश को भी नहीं पता था कि उनका ये विद्रोह उनको राजनीति में लाकर खड़ा कर देगा।

नहीं पड़ा भूषण पर असर

भूषण के खिलाफ उतरते ही हर जगह खलबली मच गई थी। सभी लोगों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था जिसका असर भूषण पर नहीं पड़ा और अपने आरोपों को नकारते रहे थे। जिसके चलते सभी के विद्रोह को और हवा मिली। उस समय के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर तक भी बात पहुंची थी। भारतीय ओलंपिक संघ भी इसमें आगे आया था लेकिन पहलवानों के खिलाफ माहौल बना दिया। दिल्ली पुलिस ने भी इनको धरने पर से हटाने में जी जान लगा दी थी।

ओलंपिक में रखा कदम

इन सबके चलते उनका खेल प्रभावित हो रहा था। जिसके बाद जब विनेश ने एक के बाद एक राउंड क्वालिफाई करके सबको हैरान कर दिया। विनेश के लिए सब कुछ एक दम सही चल रहा था। वह सबको हराकर आगे बढ़ रही थीं लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। फाइनल्स से पहले वेट-इन में उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा होने के चलते वो डिस्क्वालिफाई कर दी गई थीं। और ये विनेश के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका था। विनेश ने सीएएस में भी अपील की थी लेकिन यहां भी वह हार गईं।

विनेश से हुए हैरान

विनेश दुख और दर्द के साथ भारत वापस आईं और बजरंग पूनिया उनको एयरपोर्ट लेने पहुंचे थे। विनेश भारत आते ही रो पड़ी थीं। लेकिन यहां पर विनेश और बजरंग का साथ देने के लिए दीपेंद्र हड्डा थे। जो कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हड्डा के बेटे थे। जिसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि विनेश राजनिती में अपने कदम रख सकती हैं। कुछ दिन बाद ही नई दिल्ली में बजरंग और विनेश ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली और बयान सामने आया कि, महिलाओं और आत्मसम्मान के हक की लड़ाई बाकी है।

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