मुठभेड़ में मारे गए नक्सल कमांडर का शव लेने से घर वालों का इनकार, बोले- गलत काम का अंजाम यही होना था
राजेश के भाई भैयाराम उरांव को जब उसकी मौत की खबर दी गई तो उन्होंने कहा, वह मेरा छोटा भाई था। उसकी मौत से दु:ख तो है, लेकिन वह जिस गलत रास्ते पर था, उसका नतीजा तो गलत ही होना था। हमारा उससे कोई लेना-देना नहीं, जिसने कई लोगों का घर बर्बाद किया हो।
राजेश उरांव की भाभी ने कहा कि हमें राजेश के शव से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस अपने तरीके से उसका अंतिम संस्कार करे। उनका कहना था कि घर में हम अपना खाने के लिए तरस रहे हैं, तो शव का अंतिम संस्कार कैसे करेंगे। राजेश ने कितने लोगों को तड़पाया है। कितने लोगों को मारा है। ऐसे में उसे भी यही भोगना था।
राजेश उरांव घाघरा थाना के तुंजो हुटार गांव का रहने वाला था। 22 साल पहले उसने घर छोड़कर नक्सली संगठन ज्वाइन कर लिया था। वर्ष 2001 में वह सबसे पहले इलाके में सक्रिय दुर्दांत नक्सली टोहन महतो के संपर्क में आया था। इसके बाद से वह कभी घर नहीं लौटा। माओवादी नक्सली संगठन में उसका ओहदा सब जोनल कमांडर का था। गुमला सदर थाना क्षेत्र आंजन से मड़वा जंगल की ओर जाने वाले रास्ते में गुरुवार दोपहर करीब दो बजे पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में वह मारा गया।
(आईएएनएस)
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