इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम: सुको ने चुनावी बॉन्ड को बताया अंसवैधानिक, आरटीआई का उल्लंघन
- बीते साल 31 अक्टूबर से शुरु हुई थी नियमित सुनवाई
- पहले एक फीसदी वोट पाने वाले दल प्राप्त कर सकते हैं चुनावी बॉन्ड
- सीजेआई समेच पांच सदस्यों वाली बेंच ने सुनाया फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज गुरुवार 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया। टॉप कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा लेने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। चुनावी बॉन्ड पर गोपनीयता को सुको ने असंवैधानिक बताते हुए उसमें सूचना का अधिकार का उल्लंघन होने का भी आरोप लगाया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से ये फैसला सुनाया। सीजेआई ने कहा कि राजनीति गतिविधियों में राजनीतिक दल अहम ईकाई होते है। मतदाताओं को दलों की फंडिंग की जानकारी होने का अधिकार है।
आपको बता दें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बीते साल दो नवंबर को अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (ए) के अंतर्गत पंजीकृत राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनावों में कम से कम एक फीसदी वोट पाने वाले दल चुनावी बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। बॉन्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से प्राप्त कर फायदा उठा सकता है।
आपको बता दें इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के मुताबिक चुनावी बॉन्ड को भारत के किसी भी नागरिक या ईकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। भारत का कोई नागरिक अकेले या अन्य नागरिकों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है।
उच्चतम न्यायालय में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने बीते साल 31 अक्टूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी। मामले की सुनवाई में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। बेंच ने पक्ष और विपक्ष दोनों की दलील सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था।