बड़ी उपलब्धि: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लॉन्च की पहली स्वदेशी CAR T-Cell थेरेपी, सस्ते में हो सकेगा कैंसर का इलाज

  • स्वदेश में विकसित ‘सीएआर टी-कोशिका’ थेरेपी की गुरुवार को शुरुआत
  • विश्वभर में सस्ती, कम दाम में होगा कैंसर के मरीजों का इलाज
  • IIT बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा विकसित जीन-आधारित थेरेपी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-04 12:21 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए स्वदेश में विकसित ‘सीएआर टी-कोशिका’ थेरेपी की गुरुवार को शुरुआत करते हुए इसे एक ‘‘बड़ी उपलब्धि’’ बताया जो इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में मानव जाति को एक नयी उम्मीद देती है। भारत में बढ़ता कैंसर एक बड़ा खतरा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को पवई आईआईटी बॉम्बे में आयोजित एक कार्यक्रम में कैंसर के इलाज के लिए स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर टी-सेल थेरेपी की शुरुआत की। आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा विकसित यह जीन-आधारित थेरेपी विभिन्न प्रकार के कैंसर को ठीक करने में अहम भूमिका निभाएंगी। थेरेपी के उद्घाटन के दौरान महामहिम ने कहा, हमारे पास अपने-अपने क्षेत्रों में भारत के दो अग्रणी अनुसंधान संस्थान हैं, जो मानवीय उद्देश्य के लिए उद्योग के साथ हाथ मिलाकर काम रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर लगातार दिन प्रतिदिन कैंसर की बीमारी बढ़ रही है, कैंसर के कारण होने वाली मौत और जोखिम साल दर साल बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य एक्सपर्ट बताते हैं, कैंसर का मृत्युदर अधिक होने का एक प्रमुख कारण समय पर इसका निदान और ट्रीटमेंट न हो पाना माना जाता है। देश में ज्यादातर लोगों में कैंसर का पताअंतिम स्टेप में हो पाता है, जहां से इलाज करना और रोगी की जान बचाना काफी कठिन हो जाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक सीएआर-टी सेल थेरेपी या काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-सेल थेरेपी इम्यूनोथेरेपी और जीन थेरेपी का एक रूप है। रोगी की प्रतिरक्षा कोशिकाओं, विशेष रूप से टी कोशिकाओं को संशोधित करने और उन्हें कैंसर से लड़ने के लिए तैयार करने के लिए जटिल आनुवंशिक इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है।

सीएआर-टी सेल थेरेपी को चिकित्सा विज्ञान में सबसे अभूतपूर्व प्रगति में से एक माना जाता है। भारत ने इस दिशा में प्रगति करते हुए स्वदेशी थेरेपी को विकसित किया है। स्वदेशी थेरेपी की लागत अन्य थेरेपी की तुलना में काफी कम है।मेक इन इंडिया पहल पर बनी यह थेरेपी दुनिया की सबसे सस्ती सीएआर-टी सेल थेरेपी है। स्वदेशी निर्मित थेरेपी आत्मनिर्भर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। थेरेपी की मदद से आने वाले समय में कैंसर से लड़ने में देश को मजबूती मिलेगी।

द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक भारत में साल 2019 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई थीं। भारत, एशिया में इस बीमारी के बोझ वाल दूसरा सबसे बड़ा देश है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि सीएआर टी-सेल थेरेपी से कैंसर के उपचार में मदद मिल सकती है।

पिछले कुछ सालों में तकनीकी विकास और एआई के चलते कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता मिली है, हालांकि आम लोगों तक इसकी पहुंच अधिक लागत के कारण मुश्किल रही है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन नई थेरेपी की मदद से कैंसर का इलाज आसान हो सकेगा।

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