सम्मान: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पांच विभूतियों को भारत रत्न से किया सम्मानित
- 2020 से 2023 तक किसी को नहीं मिला भारत रत्न
- 2024 में पांच विभूतियों को किया सम्मानित
- पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को मिला भारत रत्न
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में भारत सरकार द्वारा चयनित पांच विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेता मौजूद रहें। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह राष्ट्रीय सेवा जैसे कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल के लिए दिया जाता है। भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन, पूर्व पीएम नरसिंह राव,स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया है। सम्मानित विभूतियों में से केवल पूर्व डिप्टी प्राइम मिनिस्टर लाल कृष्ण आडवाणी ही जीवित है, बाकी चार को मरणोपरांत सम्मानित किया गया है। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार 31 मार्च को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देंगी। स्वास्थय खराब होने के कारण राष्ट्रपति आडवाणी के घर जाकर उन्हें सम्मानित करेंगी। तबीयत खराब होने के कारण आज वे राष्ट्रपति भवन में नहीं आ सके। आडवाणी के आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहेंगे।
आपको बता दें 2020 से 2023 तक किसी को भी भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया गया था। लेकिन 2024 में आम चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने पांच विभूतियों को चुना। प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) शामिल हैं। पिछले साल 28 सितंबर को एमएस स्वामीनाथन का चेन्नई में निधन हो गया था।
आपको बता दें पहले ये सम्मान केवल जीवित रहते दिया जाता था, लेकिन 1955 से मरणोपरांत देने की शुरुआत हुई। देश के प्रधानमंत्री भारत रत्न के लिए किसी व्यक्ति के नाम की सिफारिश राष्ट्रपति को करते हैं।पुरस्कार पाने वाले को एक मेडल और सर्टिफिकेट दिया जाता है, जिसपर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते है।मेडल में तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लैटिनम का चमकता सूर्य बना हुआ है। पत्ते का किनारा भी प्लैटिनम का होता है। मेडल के नीचे चांदी से हिंदी में भारत रत्न लिखा होता है। पीछे की तरफ अशोक स्तंभ के नीचे हिंदी में सत्यमेव जयते लिखा होता है। इस सम्मान के साथ कोई धनराशि नहीं दी जाती है।