योगी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा : वैध ध्वस्तीकरण को अलग रंग देने की कोशिश, दंगे से कोई संबंध नहीं

नई दिल्ली योगी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा : वैध ध्वस्तीकरण को अलग रंग देने की कोशिश, दंगे से कोई संबंध नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-22 08:30 GMT
योगी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा : वैध ध्वस्तीकरण को अलग रंग देने की कोशिश, दंगे से कोई संबंध नहीं
हाईलाइट
  • सुप्रीम कोर्ट ने 16 जून को उत्तर प्रदेश सरकार को कहा था कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कानून सम्मत होनी चाहिए

नई दिल्ली , 22 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि घरों के ध्वस्तीकरण के संबंध में दायर याचिका स्थानीय प्रशासन की वैध कार्रवाई को अलग रंग देने की कोशिश है। हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि स्थानीय प्रशासन कानूनी प्रक्रिया के दायरे में रहकर वैध कार्रवाई कर रहा है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कहा है कि मुस्लिम संगठन जमात-उलेमा-ए- हिंद ने अपनी याचिका में कुछ घटनाओं की एकपक्षीय मीडिया रिपोर्टिग का इस्तेमाल राज्य सरकार पर आरोप लगाने के लिए किया है। हलफनाम में प्रयागराज और कानुपर में किए गए ध्वस्तीकरण को वैध ठहराते हुए कहा गया है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई उत्तर प्रदेश शहरी योजना एवं विकास अधिनियम,1972 के अनुसार की गई है।

राज्य सरकार का कहना है कि ध्वस्तीकरण को लेकर लगाए गए आरोप पूरी तरह गलत और भ्रामक हैं और ध्वस्तीकरण से प्रभावित कोई भी पक्ष इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचा है। याचिकाकर्ता ने जानबूझकर सही तथ्यों को दबाया और प्रशासन की गलत तस्वीर पेश करने की कोशिश की।

कानपुर में की गई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के संबंध में योगी सरकार ने कहा कि वे निर्माण अवैध थे और इसे दो बिल्डर्स ने स्वीकार भी किया है। जावेद मोहम्मद के घर को ढाहने के संबंध में योगी सरकार ने कहा कि स्थानीय निवासियों ने अवैध निर्माण और रिहाइशी संपत्ति का वाणिज्यिक इस्तेमाल करने की शिकायत की थी। जावेद मोहम्मद के घर में वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया का कार्यालय था।

राज्य सरकार ने कहा है कि जहां तक दंगे में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की बात है तो उनके खिलाफ सीआरपीसी, आईपीसी, उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम तथा उत्तर प्रदेश सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 जून को उत्तर प्रदेश सरकार को कहा था कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कानून सम्मत होनी चाहिए और इसे बदले की कार्रवाई के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इस विषय पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था।

 

एकेएस/एसकेके

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