भारत ने EU से कहा- कोवैक्सिन, कोवीशील्ड को अप्रूवल दें, नहीं तो आपके डिजिटल कोविड प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं देंगे
भारत ने EU से कहा- कोवैक्सिन, कोवीशील्ड को अप्रूवल दें, नहीं तो आपके डिजिटल कोविड प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं देंगे
- नहीं किया तो आपके डिजिटल कोविड प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं देंगे
- भारत की यूरोपीय संघ को दो टूक
- भारतीय टीके कोविशील्ड और कोवैक्सिन को प्रमाण पत्र में शामिल करें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत यूरोपीय संघ के डिजिटल कोविड प्रमाण पत्र को तब तक मान्यता नहीं देगा जब तक कि यूरोपीय संघ में भारतीय टीके कोविशील्ड और कोवैक्सिन को प्रमाण पत्र में शामिल नहीं किया जाता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात कही गई है। यूरोपीय संघ "ग्रीन पास" 1 जुलाई से लागू होने की उम्मीद है। ईयू डिजिटल कोविड प्रमाणपत्र, जिसे "ग्रीन पास" के रूप में जाना जाता है, उन लोगों को क्वारंटीन से छूट देगा, जिन्हें यूरोपीय संघ से अप्रूव्ड वैक्सीन लगी है।
वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल फोंटेलेस के साथ बैठक के दौरान कोवीशील्ड को EU के डिजिटल कोविड प्रमाणपत्र योजना में शामिल करने का मुद्दा उठाया था। इटली में जी20 की शिखरवार्ता से इतर यह बैठक हुई थी।
बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन को भारत में सीरम इस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोवीशील्ड नाम से बना रहा है। यूरोपियन मेडिकल एजेंसी (EMA) से इसे अभी तक मान्यता नहीं मिली है जिस वजह से इस वैक्सीन को ग्रीन पास लिस्ट में शामिल नहीं किया है। यूरोपियन यूनियन के देशों में हैसल फ्री ट्रैवल के लिए "ग्रीन पास" लॉन्च किया गया है। केवल यूरोपियन मेडिकल एजेंसी से मान्यता प्राप्त वैक्सीन वाले लोग ही इस डिजिटल पासपोर्ट को क्लेम कर सकते हैं।
एस्ट्राजेनेका की इसी वैक्सीन को यूनाइटेड किंगडम और यूरोप में वैक्सजेवरिया के नाम से बनाया जाता है। इसे यूरोपियन मेडिकल एजेंसी द्वारा अधिकृत किया जा चुका है। ऐसे में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के यूरोपीय वर्जन के प्राप्तकर्ता "ग्रीन पास" के लिए आवेदन कर सकेंगे। यूरोपियन मेडिकल एजेंसी ने अभी तक केवल चार वैक्सीन को अधिकृत किया है। इनमें बायोएनटेक-फाइजर की कॉमिरनाटी, मॉडर्ना, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सजेवरिया और जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसन। हालांकि राज्यों को अन्य टीकों को भी स्वीकार करने की अनुमति है।
केवल आइसलैंड ने डब्ल्यूएचओ-मान्यता प्राप्त टीकों के साथ वैक्सीनेशन करने वाले किसी भी व्यक्ति को अपने देश में स्वागत करने का निर्णय लिया है। यह ट्रैवलर्स के लिए लिए अपनी सीमाएं खोलने वाला पहला देश भी है। इस बीच, फ्रांस ने यूरोपीय संघ के नक्शेकदम पर चलते हुए कहा कि केवल ईएमए-अप्रूव्ड वैक्सीन को देश में प्रवेश करने की अनुमति होगी। वहां रूस और भारतीय निर्मित वैक्सीन के डोज लेने वालों को अनुमति नहीं दी गई है। यहां हम आपको ये भी बता दें कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ग्लोबल यूज के लिए कोवीशील्ड को मान्यता दे चुका है।