बिपिन रावत के हर अच्छे बुरे पल में साथ रहीं पत्नी मधुलिका, आखिर वक्त पर भी नहीं छोड़ा साथ

मरते दम तक रहा साथ बिपिन रावत के हर अच्छे बुरे पल में साथ रहीं पत्नी मधुलिका, आखिर वक्त पर भी नहीं छोड़ा साथ

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-08 16:21 GMT
बिपिन रावत के हर अच्छे बुरे पल में साथ रहीं पत्नी मधुलिका, आखिर वक्त पर भी नहीं छोड़ा साथ
हाईलाइट
  • आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थी मधुलिका रावत
  • बिपिन के परिवार में पत्नी मधुलिका के अलावा दो बेटियां कृतिका और तारिणी हैं
  • सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की 11 अन्य के साथ हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई। फिलहाल 14 सवार सदस्यों में से केवल कैप्टन वरुण सिंह अस्पताल में मौत से लड़ रहे है।  

उधर, भारत मां के एक बहादुर बेटे ने पत्नी के साथ शहादत का दामन थाम लिया है। एक बहुत मशहूर कहावत है-"हर कामयाब आदमी के पीछे, एक औरत का हाथ" होता है (Behind every successful man there is a woman)। तो इस मामले में कामयाब बिपिन रावत के पीछे उनकी पत्नी मधुलिका रावत का हाथ है। दोनों ने जिंदगी भर एक-दूसरे का हाथ थामे रखा और अंतिम समय में भी दोनों ने साथ में ही दुनिया को अलविदा कहा।  

बिपिन की मधुलिका से शादी 1985 में हुई थी। तब से लेकर अब तक मधुलिका ने जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में अपने पति का साथ दिया है, इतना ही नहीं अंतिम समय में भी वो उनके साथ थी। एक आदर्श पत्नी की तरह हमेशा ही अपने पति की ताकत बनकर पीछे खड़ी रहीं। इसके अलावा उन्होंने जनरल बिपिन रावत का आर्मी के कार्य में भी सहयोग जारी रखा। 

आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थी मधुलिका रावत

बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत "आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन" (Army Wives Welfare Association) की अध्यक्ष थीं। आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (AWWA) इंडिया के सबसे बड़े NGO"s में से एक है। वह सेना के अधिकारियों, जवानों की पत्नियों, उनके बच्चों और आर्मी डिपेंडेंट फैमिली के कल्याण के लिए काम करती थीं। वह अपने घर को संभालने के साथ-साथ सोशल वर्क में भी काफी एक्टिव थीं। आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन की स्थापना 1966 में हुई थी। 

मधुलिका रावत कई कल्याणकारी कार्यक्रमों और अभियानों का भी हिस्सा रही हैं, जो वीर नारियों (सेना की विधवाओं) और विकलांग बच्चों की सहायता करती हैं।

मधुलिका रावत सेना की पत्नियों को सशक्त बनाने, उन्हें ब्यूटीशियन कोर्सेज के साथ-साथ सिलाई, बुनाई और बैग बनाने के प्रशिक्षण लेने से लेकर आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए "केक और चॉकलेट" जैसे खाद्य पदार्थ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने स्वास्थ्य जागरूकता और इसके सदस्यों की भलाई को भी बढ़ावा दिया। 

मधुलिका रावत ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान (psychology ) में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। AWWA के अलावा, वह कई तरह के सामाजिक कार्यों का हिस्सा थीं, खासकर कैंसर पीड़ितों के लिए। 

मध्य प्रदेश के शहडोल से थी मधुलिका रावत 

हादसे की जानकारी लगते ही MP के शहडोल जिले में भी दुख की लहर दौड़ गई, क्योंकि मधुलिका यहीं की रहने वाली हैं। रावत की ससुराल शहडोल जिले के सोहागपुर में है। मधुलिका रावत राजपरिवार से ताल्लुक रखती है। मधुलिका स्व. कुंवर मृगेंद्र सिंह की बेटी हैं। मृगेंद्र सिंह रीवा घराने से ताल्लुक रखते हैं। कुंवर मृगेन्द्र सिंह शहडोल से कई बार विधायक भी चुने गए हैं और वह अपने क्षेत्र के लोकप्रिय व्यक्ति हैं। 

बिपिन का परिवार तीन पीढ़ियों से दे रहा है भारतीय सेना में अपनी सेवा 

बिपिन रावत का परिवार तीन पीढ़ियों से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह सिपाही के पद पर भर्ती होने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे तो वहीं उनकी मां पूर्व विधायक किशन सिंह परमार की बेटी हैं। बिपिन के परिवार में पत्नी मधुलिका के अलावा दो बेटियां कृतिका और तारिणी हैं।

बिपिन रावत के जीवन के सफर की बात करे तो, उन्होंने देहरादून और शिमला में पढ़ाई पूरी की थी। उसके बाद एनडीए और आईएमए देहरादून से सेना में प्रवेश किया था। वे आईएमए में सर्वश्रेष्ठ स्वार्ड ऑनर से सम्मानित रहे। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मिलिट्री-मीडिया स्ट्रैटेजिक स्टडीज में पीएचडी भी की थी।

बिपिन रावत ने 1978 में आर्मी की 11वीं गोरखा रायफल की पांचवीं बटालियन से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। बिपिन रावत अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में युद्ध एवं अन्य गतिविधियों के एक्सपर्ट रहे हैं। उन्हें वीरता के लिए कई बार पुरस्कार भी मिल चुके। 

इस हादसे से पहले जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी को वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज ले जा रहा हेलीकॉप्टर नीलगिरि पहाड़ियों के घने जंगलों वाले पहाड़ी इलाकों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हेलिकॉप्टर में सवार अन्य लोग ब्रिगेडियर एल.एस. लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, नायक विवेक कुमार, नायक बी. साई तेजा, हवलदार सतपाल और पायलट शामिल हैं।

 


 
  
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