केन्द्र सरकार की गाइडलाइंस को चैलेंज करने दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा वाट्सऐप, कहा- ये यूजर्स की प्राइवेसी के खिलाफ है
केन्द्र सरकार की गाइडलाइंस को चैलेंज करने दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा वाट्सऐप, कहा- ये यूजर्स की प्राइवेसी के खिलाफ है
- मोदी सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा WhatsApp
- यह यूजर्स की निजता के अधिकार का हनन- WhatsApp
- सरकार की सोशल मीडिया गाइडलाइन को चैलेंज किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप केंद्र सरकार के नए IT नियमों के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई है। तीन महीने पहले जारी की गई गाइडलाइन में वॉट्सऐप और उस जैसी कंपनियों को अपने मैसेजिंग ऐप पर भेजे गए मैसेज के ओरिजिन की जानकारी अपने पास रखनी होगी। सरकार के इसी नियम के खिलाफ कंपनी ने अब दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी का कहना है कि सरकार इस फैसले से लोगों की प्राइवेसी खत्म हो जाएगी।
केन्द्र सरकार और वॉट्सऐप के विवाद पर कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि सरकार के इस फैसले से लोगों की प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने बताया कि मैसेजिंग ऐप से चैट को इस तरह से ट्रेस करना लोगों की निजता के अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि हम लगातार सिविल सोसायटी और दुनियाभर के विशेषज्ञों के साथ उन पहलुओं का विरोध करते आए हैं, जिससे यूजर की प्राइवेसी को खतरा हो सकता है। इस बीच हम मामले का समाधान निकालने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे।
बता दें कि भारत सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम अगर नए इंटरमीडियरी गाइडलाइन का पालन नहीं करते हैं। तो सरकार इस पर सख्त फैसला लेगी। सरकार के निर्धारित दिशा-निर्देशों को स्वीकार करने की समय सीमा 25 मई थी जोकि समाप्त हो चुकी है। लेकिन अभी तक व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर सहित किसी भी प्लेटफॉर्म ने नए नियमों का पालन नहीं किया है।
ट्विटर का इंडियन वर्जन कू एकमात्र सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जिसने 25 मई की समय सीमा से पहले नई गाइडलाइन्स का अनुपालन किया है। फरवरी 2021 में मिनिस्ट्री ऑफ इलक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टोक्नोलॉजी (MEITy) ने आईटी नियमों का पालन करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को तीन महीनों का समय दिया था।
एक अधिकारी ने कहा, यह सोशल मीडिया कंपनियों के लिए ये मोमेंट काफी क्रूशियल है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि वे 25 मई तक नए नियमों का पालन नहीं करते हैं तो वे इंटरमीडियरीज के रूप में अपने स्टेटस और प्रोटेक्शन को खो देंगे और भारत के कानूनों के अनुसार उनके खिलाफ क्रिमिनल एक्शन लिया जा सकता है। यूएस-आधारित कंपनियों ने इसके लिए छह महीने का समय मांगा था क्योंकि वे यूएस हेडक्वार्टर से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
यह खुलासा करते हुए कि फेसबुक नियमों का पालन करेगा या नहीं, कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "हमारा लक्ष्य आईटी नियमों के प्रावधानों का पालन करना है और कुछ ऐसे मुद्दों पर चर्चा करना जारी रखना है जिनके लिए सरकार के साथ ज्यादा एगेंजमेंट की जरुरत है। फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म पर लोगों को स्वतंत्र रूप से और सुरक्षित रूप से खुद को व्यक्त करने की क्षमता के लिए प्रतिबद्ध है।"
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा घोषित नए नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत से अनुपालन अधिकारियों को नियुक्त करना होगा। अधिकारी शिकायतों को देखेंगे, कंटेंट की निगरानी करेंगे और आपत्तिजनक होने पर उसे हटा देंगे। ऐसे नियम सिर्फ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ही नहीं बल्कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी लागू होते हैं।
नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन प्राइम सहित अन्य स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को भारत में एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा जो शिकायतों का ध्यान रखेगा और 15 दिनों में उन पर कार्रवाई करेगा। सरकार का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सेल्फ-रेगुलेशन का कोई कोड नहीं है। इसलिए, वह चाहती है कि कंपनियां विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को शामिल करें और कंटेंट को विनियमित करने के लिए एक समिति बनाएं। नए नियमों में यह भी उल्लेख है कि कोड के उल्लंघन की शिकायतों पर कार्रवाई करने का एकमात्र अधिकार समिति के पास होगा।