झोपड़ी में रह रही थीं शहीद की पत्नी, ग्रामीणों ने चंदा कर बनवाया पक्का मकान
झोपड़ी में रह रही थीं शहीद की पत्नी, ग्रामीणों ने चंदा कर बनवाया पक्का मकान
- 15 अगस्त और रक्षा बंधन के मौके पर कराया गृह प्रवेश
- इंदौर शहर के पास बेटमा
- देपालपुर की घटना
- युवकों के एक समूह ने की पहल
डिजिटल डेस्क, इंदौर। देश के लिए शहीद हुए बीएसएफ जवान की पत्नी को स्वतंत्रता दिवस पर ग्रामीणों ने ऐसा तोहफा दिया, जिसे वह ताउम्र नहीं भूल पाएंगी। दरअसल, शहीद की विधवा पत्नी पिछले 27 वर्षों से कच्चे मकान में जिंदगी गुजार रही थीं। युवकों के एक समूह ने मिलकर उनके लिए पक्का घर बनवा दिया। खास बात यह है कि उनका गृह प्रवेश 15 अगस्त के खास मौके पर कराया गया।
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के पास बेटमा, देपालपुर के पीर पीपलिया गांव निवासी शहीद मोहन सिंह 31 दिसंबर 1992 में त्रिपुरा में शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही उनका परिवार कच्चे मकान में जीवन गुजार रहा था। मकान की खस्ता हालत देख युवाओं के एक समूह ने नया घर बनवाने की जिद ठान ली।
#WATCH Indore: Youth in Betma village presented new house y"day to wife of soldier Mohan Singh(who lost his life in 1992 in Assam).She had been living in "kuccha" house till now. They also placed their hands on the ground in respect to help her enter the house for the first time pic.twitter.com/wp3mSM3lWZ
— ANI (@ANI) August 16, 2019
बीस युवकों ने मिलकर 2018 में घर बनवाने की जिम्मेदारी लेते हुए चंदा करना शुरू किया, जिसमें करीब 11 लाख रुपए एकत्रित हो गए। दस लाख रुपए खर्च कर शहीद की पत्नी के लिए मकान बनवाया गया तो वहीं एक लाख रुपए शहीद की मूर्ति बनवाने में खर्च कर दिए।
बता दें कि मकान बनवाने के लिए युवाओं ने महज तीन महीने के अंदर इतने पैसे इकट्ठे कर लिए थे। पैसे इकट्ठे होने और मकान बनने के बाद युवाओं ने उसे सौंपने के लिए 15 अगस्त का दिन चुना और मोहन सिंह की विधवा पत्नी को उसे सौंप दिया। युवाओं ने जमीन पर हथेल रख उनका गृह प्रवेश करवाया।
युवकों की इस पहल को मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सराहा है। उन्होंने ट्वीट किया कि 27 साल पहले शहीद हुए बीएसएफ जवान शहीद मोहन सिंह का परिवार अभाव में जीव जी रहा था, गांव के युवाओं ने अभियान चलाकर उनके लिए पक्के मकान का निर्माण करवाकर रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस को सार्थक बनाया है, युवाओं के इस जज्बे को सलाम।