स्वास्थ्य विभाग ने चलाया था डायरिया नियंत्रण अभियान, 30 सितंबर को हो जाएगा समाप्त
तमिलनाडु सरकार स्वास्थ्य विभाग ने चलाया था डायरिया नियंत्रण अभियान, 30 सितंबर को हो जाएगा समाप्त
- तमिलनाडु सरकार का डायरिया नियंत्रण अभियान 30 सितंबर को समाप्त होगा
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया गया पांच साल से कम उम्र के बच्चों के बीच डायरिया नियंत्रण अभियान 30 सितंबर को समाप्त होगा। यह अभियान 16 सितंबर को शुरू किया गया था। शुरूआती चरण में लोगों में जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया और लोगों को बीमारी के कारणों और यह कैसे फैलता है, इसके बारे में बताया गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा समर्थित अभियान मुख्य रूप से दस्त से होने वाली मौतों को रोकने के लिए है। तमिलनाडु के जन स्वास्थ्य के संयुक्त निदेशक जे. संपत ने आईएएनएस को बताया, भारत में लगभग 63 लाख डायरिया के मामले सामने आए हैं। हालांकि, तमिलनाडु में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या बहुत कम है, लेकिन फिर भी हम सामान्य लोगों में जागरूकता पैदा कर रहे हैं। ताकि वे इस बात से अनजान न हों कि उनके बच्चे को यह बीमारी संक्रमित करती है।
डायरिया के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सभी 1,000 लोगों पर एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नियुक्त की जाएगी। प्रशिक्षित कार्यकर्ता परिवारों में बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा करेंगे और बच्चे को बीमारी से प्रभावित होने पर तत्काल प्राथमिक उपचार के उपाय किए जाएंगे। वे परिवारों को इस बात से अवगत कराएंगे कि बच्चे को अस्पताल में भर्ती होने के साथ-साथ कई घरेलू उपचारों की आवश्यकता होती है जिनका लोग पालन कर सकते हैं। प्रशिक्षित आंगनबाडी कर्मचारी माता-पिता को मौखिक निर्जलीकरण चिकित्सा के साथ-साथ जिंक गोलियों के उपयोग के बारे में जागरूकता प्रदान करेंगे। अगर इन उपायों का पालन करने के बाद भी बच्चे में बीमारी बनी रहती है, तो बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।
संपत ने कहा कि यह लोगों को अस्पताल ले जाने से पहले घर पर निपटाए जाने वाले मुद्दों के बारे में अधिक समझने में मदद करने के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर माताओं के लिए घर-घर जाकर अभियान चलाने वाली आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के अलावा इस रोग को लेकर विशेष शिविर लगाए जाएंगे। देश में डायरिया के मामलों में राष्ट्रीय औसत मृत्यु दर 13 प्रतिशत है जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में यह 50 से 60 प्रतिशत है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि डायरिया का प्रसार मुख्य रूप से असुरक्षित पेयजल और अनुचित तरीके से पकाए गए भोजन के कारण होता है।
(आईएएनएस)