तमिलनाडु : केंद्रीय बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को लेकर चिंतित किसान
तमिलनाडु तमिलनाडु : केंद्रीय बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को लेकर चिंतित किसान
- भूजल पंपिंग पर काफी हद तक निर्भर किसान
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। मयलादुथुराई और तमिलनाडु के अन्य तटीय जिलों के कुरुवई किसान चिंतित हैं कि अगर संसद में पेश किए गए केंद्रीय बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 के बाद मुफ्त बिजली सब्सिडी को रद्द कर दिया गया तो उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी।
आईएएनएस से बात करते हुए, मयलादुथुराई के एक कुर्वई किसान मदनसामी ने कहा, हम कावेरी नदी के पानी के बजाय अपनी खेती के लिए जल स्रोतों के लिए भूजल पंपिंग पर काफी हद तक निर्भर हैं। हमारी फसल अप्रैल से अगस्त तक होती है और भूजल हमारी पानी की जरूरतों का मुख्य स्रोत है, अगर सरकार सब्सिडी वापस लेती है, तो हमें डर है कि हमारी फसल बर्बाद हो जाएगी।
तमिलनाडु के कृषि विभाग के अनुसार, 90 प्रतिशत से अधिक खेती भूजल और बोरवेल पर निर्भर है और इसके लिए बिजली की आवश्यकता होती है।
आईएएनएस से बात करते हुए, एक किसान के.आर. कन्नन ने कहा, हम अप्रैल से अगस्त तक कुरुवई की फसल और अक्टूबर से जनवरी तक रबी की खेती करते हैं। अगर मुफ्त बिजली रद्द कर दी जाती है, तो हम पूरी तरह से कावेरी के पानी पर निर्भर रहने के लिए मजबूर हो जाएंगे जो केवल जून में उपलब्ध होगा। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में हमारी फसल बर्बाद हो जाएगी।
बता दें, केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मौजूदा कृषि सब्सिडी को प्रभावित करने वाले कोई प्रावधान नहीं होंगे।
किसानों ने यह भी कहा कि धान एक ऐसी फसल है जिसके लिए नियमित रूप से पानी की आपूर्ति की आवश्यकता होती है और अगर बिजली सब्सिडी रद्द कर दी जाती है, तो किसानों को कुरुवई फसल को छोड़कर सिंचाई के लिए नदी के पानी के आधार पर रबी की फसल की ओर बढ़ना पड़ सकता है।
(आईएएनएस)
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