CJI रंजन गोगोई पर लगे सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप झूठे, 3 सदस्यीय कमेटी ने बताया निर्दोष
CJI रंजन गोगोई पर लगे सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप झूठे, 3 सदस्यीय कमेटी ने बताया निर्दोष
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीजेआई (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) रंजन गोगोई पर लगे सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप में नया मोड़ आ गया है। जांच के लिए बनाई गई 3 जजों की इन हाउस कमेटी ने जांच के बाद सीजेआई को निर्दोष बताया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का हलफनामा कुछ दिन पहले सामने आया था। 22 पन्नों के हलफनामे में पूर्व कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगया था, महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला ने आरोप लगया है कि चीफ जस्टिस गोगोई ने पिछले वर्ष अक्टूबर में ऑफिस के अंदर उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब महिला ने मांग ठुकरा दी तो नौकरी से निकाल दिया गया।
The three member in-house committee of the Supreme Court has found no substance in the sexual harassment allegations against Chief Justice of India Ranjan Gogoi. pic.twitter.com/cG4yVB8ViR
— ANI (@ANI) May 6, 2019
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक स्पेशल बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा था, "20 सालों की सेवा के बाद मेरे खाते में सिर्फ 6,80,000 रुपए हैं। कोई भी मेरा बैंक अकाउंट चेक कर सकता है। यहां तक मेरे चपरासी के पास मुझसे ज्यादा पैसे हैं।
उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। लोग पैसे के मामले में मुझ पर उंगली नहीं उठा सकते, इसलिए इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। गोगोई ने कहा, "मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना हूं कि मैं महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करूंगा, जिन्होंने मेरे ऊपर आरोप लगाए वे पहले जेल में थे। इसके पीछे एक शख्स नहीं, बल्कि कई लोगों का हाथ है।"
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के महासचिव संजीव सुधाकर कलगांवकर ने कहा कि रंजन गोगई पर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं। इसका कोई आधार नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर स्पेशल बेंच गठित की। इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खत्रा शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार की ओर से इस संबंध में जारी किए गए नोटिस के अनुसार स्पेशल बेंच का गठन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उल्लेख के बाद किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि चीफ जस्टिस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप है।