नोएडा में प्रदेश की पहली स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी लागू, बिना रिपोर्ट नहीं मिलेगी सीसी

उत्तरप्रदेश नोएडा में प्रदेश की पहली स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी लागू, बिना रिपोर्ट नहीं मिलेगी सीसी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-02 05:31 GMT
नोएडा में प्रदेश की पहली स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी लागू, बिना रिपोर्ट नहीं मिलेगी सीसी
हाईलाइट
  • गुणवत्ता का आकलन भी रिपोर्ट के आधार पर होगा

डिजिटल डेस्क, नोएडा। नोएडा में प्रदेश की पहली स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी को लागू कर दिया गया है। नई व्यवस्था में बिल्डरों को आंशिक या पूर्ण कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) लेने के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराना होगा। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही नोएडा प्राधिकरण आगे की कार्यवाही करेगा।

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक बिल्डरों को भूखंड का आंशिक व पूर्ण कंप्लीशन लेने से पहले प्राधिकरण कार्यालय पर मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए स्ट्रक्च रल स्टेबिलिटी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी पड़ती थी, लेकिन अब इस रिपोर्ट के साथ-साथ स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट भी देनी होगी। इसे अब लागू कर दिया गया है। पांच साल के ऊपर हो चुकी इमारतों का एओए को स्ट्रक्चरल ऑडिट कराना होगा।

इसका असर नोएडा में 63 निर्माणाधीन परियोजनाओं पर दिखेगा। कंप्लीशन लेने के लिए बिल्डरों को यह ऑडिट करना अनिवार्य होगा। इससे प्राधिकरण को पता चल जाएगा कि बिल्डर की ओर से जो स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, निर्माण उसी आधार पर कराया गया है या अंतर है। गुणवत्ता का आकलन भी रिपोर्ट के आधार पर होगा।

यह रिपोर्ट केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एनआइटी) दिल्ली, खडुकपुर, नागपुर, मुंबई, बंगलूरू, आइआइटी दिल्ली व रुड़की से आएगी। जिसके बाद नोएडा प्राधिकरण पैनल जांच के लिए कंपनियों से इसका आकलन करवाएगी, अंतर होने पर मानकों को दोबारा पूरा कराया जाएगा। इसके बाद ही बिल्डर को सीसी जारी किया जाएगा।

63 निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में 92300 यूनिट का निर्माण कार्य किया जा रहा है। 87 हजार यूनिट की सीसी जारी की जा चुकी है। निर्माण के आधार पर प्राधिकरण की स्ट्रक्चरल ऑडिट पालिसी तीन मेजर डिफेक्ट पर आधारित है। पहली इमारत के फाउंडेशन में क्रेक और डैमेज, दूसरी फ्लोर व कामन एरिया में क्रेक और डैमेज और तीसरा दीवारों में क्रेक और डैमेज। प्राधिकारण के सीसी जारी करने से पहले बिल्डर अपने खर्चे पर स्ट्रक्चरल ऑडिट कराएगा।

यदि ऑडिट रिपोर्ट में कमी आती है तो दोबारा से बिल्डर ऑडिट कराकर प्राधिकरण में सीसी के लिए आवेदन करेगा। सीसी जारी होने से पांच साल तक बिल्डर की जिम्मेदारी होगी, इसके बाद एओए को अपने खर्चे पर स्ट्रक्च र ऑडिट कराना होगा।

 

आईएएनएस

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