वैज्ञानिक ने खोजी एंटीबॉडी जो ओमिक्रॉन को बेअसर करने में सक्षम 

ओमिक्रॉन वैज्ञानिक ने खोजी एंटीबॉडी जो ओमिक्रॉन को बेअसर करने में सक्षम 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-29 15:30 GMT
वैज्ञानिक ने खोजी एंटीबॉडी जो ओमिक्रॉन को बेअसर करने में सक्षम 
हाईलाइट
  • भारत मेंओमिक्रॉन के कुल 804 मामलों की पुष्टि हो चुकी है
  • स्यूडोवायरस (Pseudovirus) से हो पाया संभव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में ओमिक्रॉन को लेकर डर और आशंकाओं के बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने उन एंटीबॉडी की पहचान की है, जो ओमिक्रॉन और कोरोनावायरस के अन्य वैरिएंट के खिलाफ कारगर साबित होंगी। ये एंटीबॉडीज वायरस के उन हिस्सों को निशाना बनाती हैं जिनमें म्यूटेशन के दौरान भी कोई बदलाव नहीं होता है। 

लंदन की नेचर जर्नल में पब्लिश हुई एक स्टडी के मुताबिक इससे वैक्सीन और एंटीबॉडी के इलाज को डेवलप करने में मदद मिल सकती है, जो ना केवल ओमिक्रॉन बल्कि भविष्य में कोरोनावायरस के अन्य वैरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी साबित होगी। इसका मतलब अब अगर ओमिक्रॉन के बाद किसी और वैरिएंट से भी खतरा बढ़ता है तो इन एंटीबॉडीज के जरिए उनसे भी निपटा जा सकेगा। 

"यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन" में एसोसिएट प्रोफेसर डेविड वेस्लर ने कहा, "यह रिसर्च हमें बताती है कि कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के सबसे सुरक्षित हिस्से को टारगेट करने वाली एंटीबॉडी पर ध्यान देकर उसकी लगातार खुद को नए रूप में ढालने की क्षमता से लड़ सकते हैं।"

आपको बता दे ओमिक्रॉन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की संख्या 37 है। स्पाइक प्रोटीन, वायरस का वह हिस्सा होता है जिसके जरिए वह मानव सेल्स  में प्रवेश करता है और उनसे जुड़कर संक्रमण फैलाता है। 

वेस्लर ने कहा, "हम जिन सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे थे, वे थे कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन ने कोशिकाओं से जुड़ने और इम्यूनिटी की एंटीबॉडी से बचने की क्षमता को कैसे प्रभावित किया है।"

स्यूडोवायरस (Pseudovirus) से हो पाया संभव 

इन म्यूटेशन के प्रभाव का आकलन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक अक्षम, गैर-प्रतिकृति वायरस, जिसे स्यूडोवायरस कहा जाता है, को इसकी सतह पर स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए इंजीनियर किया, जैसा कि कोरोनवायरस करते हैं। फिर उन्होंने स्यूडोवायरस बनाया जिसमें ओमिक्रॉन म्यूटेशन के साथ स्पाइक प्रोटीन थे और जो महामारी में पहचाने गए शुरुआती वेरिएंट में पाए गए थे।

शोधकर्ताओं ने सबसे पहले यह देखा कि स्पाइक प्रोटीन के विभिन्न वर्जन सेल्स की सतह पर प्रोटीन को कितनी अच्छी तरह से बांधने में सक्षम थे, जिसका उपयोग वायरस सेल में प्रवेश करने के लिए करता है। इस प्रोटीन को एंजियोटेंसिन कनवर्टिंग एंजाइम -2 (ACE2)  रिसेप्टर कहा जाता है।

उन्होंने पाया कि महामारी की शुरुआत में आए वायरस में पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन 2.4 गुना बेहतर ढंग से रोकने में सक्षम है।

बूस्टर डोज लगवाना जरुरी 

शोधकर्ताओं ने अलग-अलग वैरिएंट पर एंटीबॉडीज के प्रभाव की भी जांच की। उन्होंने ऐसा उन रोगियों के एंटीबॉडी का उपयोग करके किया जो पहले वायरस के पुराने वैरिएंट्स से संक्रमित थे, वायरस के पहले के वैरिएंट्स के खिलाफ टीका लगाया गया था, या संक्रमित किया गया था और फिर टीका लगाया गया था।

उन्होंने पाया कि उन लोगों के एंटीबॉडी जो पहले के वैरिएंट्स से संक्रमित थे और जिन लोगों ने वर्तमान में उपलब्ध छह सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले टीकों में से एक प्राप्त किया था, उनमें से सभी में संक्रमण को रोकने की क्षमता कम हो गई थी।

वेस्लर ने कहा, "जो लोग संक्रमित हो गए थे, ठीक हो गए थे और फिर वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके थे, उनकी एंटीबॉडी ने भी एक्टिविटी को कम दिया था, लगभग 5 गुना कम। वहीं किडनी डायलिसिस वाले मरीजों का ग्रुप, जिन्हें मॉडर्न और फाइजर द्वारा बनाई हुई वैक्सीन की खुराक के साथ बूस्टर मिला था, उनमें एंटीबॉडी की एक्टिविटी में केवल 4 गुना कमी दिखी थी। इससे पता चलता है कि एक तीसरी खुराक वास्तव में ओमिक्रॉन के खिलाफ मददगार है।"

वेस्लर ने कहा, "एंटीबॉडीज, वायरस के कई अलग-अलग वैरिएंट में संरक्षित क्षेत्रों की पहचान करके उन्हें बेअसर करने में सक्षम हैं। जिससे पता चलता है कि इन हिस्सों को टारगेट करने वाली वैक्सीन और एंटीबॉडी ट्रीटमेंट नए वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं।"

भारत में तेजी से फैल रहा है नया वैरिएंट 

देश में ओमिक्रॉन संक्रमण तेजी से फैल रहा है और अभी तक कुल 804 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। सबसे ज्यादा मामले दिल्ली में 238 वहीं महाराष्ट्र में 167 है। कोरोना से संक्रमित भारत में अभी 77,002 एक्टिव केस हैं।  

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