RTI कानून खत्म करना चाहती है सरकार, हर नागरिक होगा कमजोर: सोनिया
RTI कानून खत्म करना चाहती है सरकार, हर नागरिक होगा कमजोर: सोनिया
- यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने विधेयक को लेकर जताई चिंता
- सोनिया ने कहा
- यह चिंता का विषय
- मोदी केंद्र सरकार RTI कानून को ध्वस्त करने पर आमादा है
- सोमवार को लोकसभा ने सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को दी मंजूरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। आरटीआई कानून में संशोधन के प्रयासों का विरोध करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, केंद्र सरकार आरटीआई को कमजोर करना चाहती है।सरकार बहुमत के चलते अपनी मंशा पूरी करने में भी सक्षम है, लेकिन इससे सरकार देश के हर नागरिक को कमजोर कर रही है।
Sonia Gandhi, Congress: The Central Government may use its legislative majority to achieve its aims but in the process it would be disempowering each and every citizen of our country. https://t.co/7r0kyIKHtt
— ANI (@ANI) July 23, 2019
दरअसल सोमवार को लोकसभा ने सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी है, लेकिन कांग्रेस सहित विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। यह विधेयक सूचना आयुक्तों का वेतन, कार्यकाल और रोजगार की शर्तें एवं स्थितियां तय करने की शक्तियां सरकार को प्रदान करने से संबंधित है। सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिश्नर की काम करने की आजादी कम करने को लेकर सोनिया गांधी ने मंगलवार को बयान जारी किया है।
सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार कानून में बदलाव का विरोध किया है। सोनिया ने कहा, केंद्र सरकार आरटीआई कानून को एक बाधा के रूप में देखती है और केंद्रीय सूचना आयोग की स्थिति और स्वतंत्रता को नष्ट करना चाहती है। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि, सरकार इस संशोधन के माध्यम से आरटीआई कानून को खत्म करना चाहती है जिससे देश का हर नागरिक कमजोर होगा।
सोनिया ने अपने बयान में कहा, यह बेहद चिंता का विषय है कि केंद्र सरकार ऐतिहासिक सूचना का अधिकार कानून-2005 को पूरी तरह से खत्म करने पर उतारु है। इस कानून को व्यापक विचार-विमर्श के बाद बनाया गया था और संसद ने इसे सर्वसम्मति से पारित किया था। अब यह खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। सोनिया ने कहा, पिछले एक दशक में देश के 60 लाख लोगों ने आरटीआई का उपयोग किया है और सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही प्रशासन की एक नई संस्कृति में प्रवेश करने में मदद की है। हमारे लोकतंत्र की नींव मजबूत हुई है। कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों द्वारा आरटीआई के सक्रिय उपयोग से समाज के कमजोर वर्गों को बहुत फायदा हुआ है।
सोनिया ने दावा किया है कि, यह स्पष्ट है मौजूदा सरकार आटीआई को बकवास मानती है और उस केन्द्रीय सूचना आयोग के दर्जे एवं स्वतंत्रता को खत्म करना चाहती है जिसे केंद्रीय निर्वाचन आयोग एवं केंद्रीय सतर्कता आयोग के बराबर रखा गया था।