- दो दिन पहले शुक्रवार को इसे लोकसभा ने पारित किया था
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विपक्ष के हंगामे के बीच, राज्यसभा ने सोमवार को जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को छह महीने के लिए बढ़ाने का वैधानिक प्रस्ताव पारित किया। उच्च सदन ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक को भी पारित किया। दो दिन पहले शुक्रवार को इसे लोकसभा ने पारित किया था। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था। अब आरक्षण विधेयक और वैधानिक संकल्प को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की सहमति का इंतजार हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया। कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने पर, अमित शाह ने कहा कि "JK में विधानसभा चुनाव रमजान, अमरनाथ यात्रा और सुरक्षा चिंताओं के कारण आयोजित नहीं किए जा सकें। केंद्र के पास अब छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन का विस्तार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। चुनाव आयोग इस साल के अंत में वहां विधानसभा चुनाव चाहता है।" सभी दलों की सहमति के बाद इसे पारित कर दिया गया।
उधर JK आरक्षण (संशोधन) विधेयक भी राज्य सभा में ध्वनि मत से पारित हुआ। विधेयक में राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के आसपास रहने वाले लोगों को नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में कोटा लाभ देने का प्रस्ताव है। सांबा, कठुआ और जम्मू के साथ 435 गांवों में रहने वाले लोगों को इसका फायदा मिलेगा। आरक्षण विधेयक, 2019 को अपना समर्थन देते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि न केवल वह बिल का समर्थन करते हैं, बल्कि मांग करते हैं कि कोटा को तीन प्रतिशत के बजाय 5-6 प्रतिशत तक बढ़ाया जाना चाहिए।
राज्य सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, "अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि कश्मीर की समस्या का समाधान "जमुरियत, कश्मीरियत, और इन्सानियत" में होना चाहिए। मैं आज दोहराता हूं कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी अटल जी के "जमुरियात, कश्मीरियत, और इन्सानियत" के रास्ते पर काम कर रही है।"
अमित शाह ने कहा कि कश्मीर की आवाम की संस्कृति का संरक्षण हम ही करेंगे। उन्होंने कहा कि "मैं निराशावादी नहीं हूं एक समय आएगा कि भवानी मंदिर में कश्मीरी पंडित वहां पूजा करते दिखाई देंगे और सूफी भाई भी वहां दिखाई पड़ेंगे।"
शाह ने कहा, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और राजद नेता मनोज झा कहते हैं कि केंद्र सरकार भारतीय जनता के बीच नेहरू के खिलाफ गलत सूचना फैलाना चाहती है। ये गलत है। यह हमारा इरादा नहीं है और न ही कभी होगा। लेकिन, जो राष्ट्र इतिहास में अपनी गलतियों से नहीं सीखते हैं उनका उज्ज्वल भविष्य नहीं है।"
अमित शाह ने कहा, "हम नेहरू पर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहते हैं लेकिन ऐतिहासिक भूलों से सीख लेना होगा।" उन्होंने कहा, "कश्मीर की सभी समस्याएं नेहरू के कारण है। नेहरू ने ऐसे समय में युद्ध विराम की घोषणा की थी जब एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान के पास था।