मप्र राजनीति: 'सिंधिया की ईमानदारी का प्रमाण है 22 लोगों का विधायकी छोड़ना'

मप्र राजनीति: 'सिंधिया की ईमानदारी का प्रमाण है 22 लोगों का विधायकी छोड़ना'

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-13 10:00 GMT
मप्र राजनीति: 'सिंधिया की ईमानदारी का प्रमाण है 22 लोगों का विधायकी छोड़ना'

डिजिटल डेस्क, भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस आए दिन कोस रही है और उन पर जुबानी हमले भी जारी हैं। इसी बीच सिंधिया के बचाव में आए कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है, सिंधिया की लोकप्रियता और ईमानदारी का प्रमाण है 22 लोगों का विधायकी छोड़ना।

सिंधिया जनता के हितैषी- कृषि मंत्री
कृषि मंत्री पटेल ने सिंधिया को ईमानदार, जनता का हितैषी और जनाधार वाला नेता बताया है। पटेल ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, वर्तमान दौर में ऐसे कम ही नेता हैं, जिनके समर्थन में लोग सरपंची तक छोडें, मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जनता की लड़ाई लड़ी तो उनके साथ 22 विधायक आ गए और उन्होंने विधायकी तक छोड़ दी। इनमें छह लोग तो ऐसे थे जिनके पास कैबिनेट मंत्री का पद था। यह घटनाक्रम सिंधिया की ईमानदारी, जनहितैषी निर्णय और जनाधार का खुलासा करने वाला है।

विजयाराजे सिंधिया बीजेपी की मार्गदर्शक रहीं
सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने पर कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था, जिससे कमल नाथ सरकार अल्पमत में आ गई। बाद में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। पटेल का कहना है कि सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की मार्गदर्शक रही हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी परिवार के सदस्य हैं और उनकी अब घर वापसी हुई है।

जनता की आवाज उठाने के लिए बीजेपी में आए सिंधिया
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा सिंधिया को चेहरा बनाए जाने का जिक्र करते हुए पटेल ने कहा, कांग्रेस ने सिंधिया को आगे करके चुनाव लड़ा था मगर सत्ता में आने के बाद पार्टी ने कमान कमल नाथ के हाथ में सौंप दी। सिंधिया लगातार जनता की आवाज उठाते रहे, जिस पर उनसे तो यहां तक कह दिया गया कि उतरना है तो सड़क पर उतर जाएं। आखिरकार सिंधिया जनता की आवाज उठाने के लिए सड़क पर उतरकर भाजपा के साथ आ गए और यही कारण है कि भाजपा की प्रदेश में सरकार बनी और भाजपा को जनता की सेवा करने का मौका मिला है।

कमल नाथ के 15 माह के शासनकाल का जिक्र करते हुए पटेल ने कहा, वह तो वास्तव में सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री थे और सारे निर्णय और विकास कार्य सिर्फ छिंदवाड़ा के लिए किया करते थे। उन्हें प्रदेश की तो चिंता ही नहीं थी।

कांग्रेस द्वारा चुनाव के दौरान किए गए वादों का जिक्र करते हुए पटेल ने कहा, कांग्रेस की हालत उस उम्मीदवार की तरह थी जो यह जानता है कि वह चुनाव हार जाएगा, मगर वादे ऐसे कर देता है जिसे पूरा करना आसान नहीं होता। यही स्थिति कांग्रेस और कमल नाथ की थी। उन्हें पता था कि वे सत्ता में नहीं आने वाले, इसीलिए उन्होंने तरह-तरह के वादे कर दिए थे। राहुल गांधी ने तो 10 दिन में कर्ज माफ न करने वाले को मुख्यमंत्री पद से हटाने की बात कही थी, कमल नाथ ने दो घंटे में ऑर्डर कर दिया, मगर किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ। इसी तरह बेरोजगारों को भत्ता देने की बात हुई, रोजगार देने की बात की, मगर सारे वादे खोखले साबित हुए।

आगामी समय में होने वाले 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव को लेकर कमल पटेल का कहना है कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है और उसका संगठन गांव-गांव तक है, साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने से पार्टी की ताकत और बढ़ी है यही कारण है कि आगामी समय में होने वाले 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में भाजपा को जीत मिलेगी। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने तीन माह में किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिसका असर चुनाव पर भी नजर आएगा, क्योंकि वास्तव में शिवराज की सरकार गांव, किसान और गरीब की सरकार है।

 

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