कैनिंग में तृणमूल के 3 कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में पुलिस को अब भी कोई सुराग नहीं

कोलकाता कैनिंग में तृणमूल के 3 कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में पुलिस को अब भी कोई सुराग नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2022-07-08 16:00 GMT
कैनिंग में तृणमूल के 3 कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में पुलिस को अब भी कोई सुराग नहीं

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। दक्षिण 24 परगना जिले के कैनिंग में गुरुवार को दिनदहाड़े तीन स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेताओं की हत्या किए गए लगभग 30 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस अभी भी नृशंस हत्याओं के मास्टरमाइंड के बारे में पता नहीं लगा पाई है। अब तक कुल चार लोगों से पूछताछ की जा चुकी है, जबकि पुलिस ने छह संदिग्धों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि, मुख्य संदिग्ध रफीकुल समेत जिन छह लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, वे अभी भी लापता हैं।

साथ ही पुलिस अभी तक हत्या में इस्तेमाल किए गए एक भी हथियार का पता नहीं लगा पाई है। राज्य पुलिस के सूत्रों के अनुसार, ऐसे मामलों में हत्या के हथियार हमेशा प्रमुख प्रदर्शन के रूप में काम करते हैं और इसलिए उनका पता लगाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

शुक्रवार को पुलिस की एक टीम ने रफीकुल के आवास पर दो बार तलाशी अभियान चलाया। हालांकि वहां से कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा। रफीकुल की मां से भी उनके बेटे के ठिकाने के बारे में पूछताछ की गई। हालांकि इस मामले में वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकीं। वह दावा करती रहीं कि उनका बेटा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का करीबी सहयोगी है।

इसी बीच स्थानीय निवासियों के एक समूह ने रफीकुल के घर में तोड़फोड़ की। उन्होंने आरोप लगाया कि ड्रग तस्करी सहित कई अपराधों में शामिल हिस्ट्रीशीटर रफीकुल ने तृणमूल कांग्रेस के तीन स्थानीय नेताओं स्वपन मांझी, भूतनाथ प्रमाणिक और झंटू हलदर की हत्या कर दी।

इस बीच, कैनिंग (पश्चिम) निर्वाचन क्षेत्र के स्थानीय तृणमूल विधायक परेश राम दास, जो तीनों पीड़ितों के करीबी थे, ने दावा किया है कि इलाके में स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि उन्हें आशंका है कि उनकी भी कभी भी हत्या हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वपन मांझी ने करीब एक महीने पहले पुलिस को जान से मारने की धमकी की आशंका के बारे में सूचित किया था। उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसके बाद भी उसे दिनदहाड़े मार दिया गया।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि जब सत्ताधारी दल के विधायक को जान का खतरा हो तो राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा, केवल आम लोग या विपक्षी दलों के समर्थक ही नहीं हैं जिनके लिए पश्चिम बंगाल में स्थिति असुरक्षित है। राज्य सत्ताधारी दल के निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए भी सुरक्षित नहीं है।

 

 (आईएएनएस)

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