निसर्ग तूफान: महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाके खाली कराए, 100 से 110 किमी/घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं हवाएं
निसर्ग तूफान: महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाके खाली कराए, 100 से 110 किमी/घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं हवाएं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। चक्रवाती तूफान निसर्ग महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाकों की ओर बढ़ रहा है। इसके बुधवार दोपहर तक महाराष्ट्र में मुंबई सहित कई इलाकों में पहुंचने की संभावना है। ऐसे में पूरे महाराष्ट्र के तटीय इलाकों को खाली करा लिया गया है। वहीं इन इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार मुंबई से 94 किलोमीटर दूर अलीबाग के तटों से इसके टकराने के आसार हैं। इस तूफान के रास्ते में महाराष्ट्र के रायगढ़ और पालघर में पड़ने वाले न्यूक्लियर और केमिकल संयंत्रों की सुरक्षा की तैयारियां कर ली गई हैं। एनडीआरएफ की टीमें भी तैनात हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्रियों से भी हालात का जायजा लिया और उन्हें हर मदद का भरोसा दिया है।
मौसम विभाग ने कहा कि अगले 12 घंटे तक मुंबई में भारी बारिश की आशंका है। इस दौरान हवा की रफ्तार 100 से 110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है। समुद्र में 6 फीट ऊंची लहरे उठने की आशंका है। फिलहाल निसर्ग तूफान पणजी से 280 किमी पश्चिम-उत्तर पश्चिम, मुंबई से 350 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम, अलीबाग से 300 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम और सूरत से 560 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम है। इसके चलते तटीय इलाकों से करीब 10 हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। इनमें कोरोना पेशेंट भी शामिल हैं। मुंबई के अलावा ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग में अलर्ट जारी किया गया है।
महाराष्ट्र में पश्चिमी नौसेना संभाली कमान
पश्चिमी नौसेना कमान ने बाढ़, राहत और बचाव और गोताखोर सहायता के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाए हैं, जो पश्चिमी समुद्र तट पर शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश और बाढ़ की स्थिति में संबंधित राज्य सरकारों के साथ समन्वय के लिए तैयार है। अरब सागर में चक्रवाती तूफ़ान Nisarga के चलते सभी टीमों को तूफान की अवधि के दौरान मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) की किसी भी आवश्यकता के लिए अलर्ट पर रखा गया है।
इंडिगो ने 17 उड़ानों को रद्द कर दिया है
चक्रवात निसर्ग के चलते इंडिगो ने 17 उड़ानों को रद्द कर दिया है। मुंबई से सिर्फ तीन फ्लाइट ही संचालित होंगी।
अगले दो दिनों तक घर से बाहर न निकलें- उद्धव ठाकरे
चक्रवात निसर्ग के मद्देनजर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लोगों से अपील की है कि अगले दो दिनों तक घर से बाहर न निकलें।
भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की
भारतीय मौसम विभाग ने अरब सागर में बन रहे दबाव के क्षेत्र को लेकर चेतावनी जारी की। मौसम विभाग ने बताया कि यह तूफान अगले 12 घंटों में खतरनाक चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। यही वजह है कि मुंबई के आसपास के जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। एनडीआरएफ की दो टीमें पालघर, तीन मुंबई, एक ठाणे, दो टीमें रायगढ़ और एक रत्नागिरी में तैनात की गई हैं।
मुंबई में "निसर्ग" ने दी दस्तक, बारिश शुरू
मुंबई में "निसर्ग" ने दी दस्तक दे दी है। यहां बारिश शुरू हो गई है। चक्रवात निसर्ग बुधवार को देश के पश्चिमी तट पर पहुंचेगा। कल अलीबाग के पास चक्रवात से भूस्खलन होने की संभावना है। Cyclone Nisarga के मद्देनजर NDRF की टीम को पालघर में तैनात किया गया है। NDRF के एक अधिकारी ने कहा कि हम तटीय क्षेत्रों में लगभग 13 गांवों से लोगों को निकाल रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन करते हुए ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तैयार हैं।
गुजरात: निसर्ग के आगमन से पहले मछुआरों को तटीय रक्षक अलर्ट कर बंदरगाह पर वापिस लौटने की अपील कर रहे हैं।
#WATCH गुजरात: #निसर्ग के आगमन से पहले मछुआरों को तटीय रक्षक अलर्ट कर बंदरगाह पर वापिस लौटने की अपील कर रहे हैं। pic.twitter.com/z7dHy99nOl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 2, 2020
चक्रवात निसर्ग का इस तरह हुआ नामकरण
पश्चिम बांगाल में चक्रवात अम्फान के कहर बरपाने के एक सप्ताह बाद, देश अब एक और चक्रवात का सामना करने के लिए तैयार है, जो महाराष्ट्र और गुजरात के समुद्र तट की ओर बढ़ रहा है। निसर्ग जो वर्तमान में अरब सागर के ऊपर है, का अर्थ प्रकृति है और यह भारत के पड़ोसी देश - बांग्लादेश द्वारा सुझाया गया है। देशों के समूह द्वारा तैयार की गई सूची में इस नाम को जोड़ा गया था। बांग्लादेश ने फणि का भी सुझाव दिया था, जिसने तीन मई, 2019 को ओडिशा में दस्तक दिया था और भारी तबाही मचाई थी। हिंद महासागर में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत 2000 में हुई और 2004 में एक फार्मूले पर सहमति बनी। अगले कुछ चक्रवातों के नाम गति (भारत द्वारा दियानाम), निवार (ईरान), बुरेवी (मालदीव), तौकते (म्यांमार) और यास (ओमान) रखा जाएगा।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम वैज्ञानिक समुदाय और आपदा प्रबंधकों को चक्रवातों की पहचान करने, जागरूकता पैदा करने और प्रभावी ढंग से चेतावनी जारी करने में मदद के लिए दिया जाता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन और एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग, 2000 में आयोजित अपने 27वें सत्र में, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण पर सहमत हुए थे। बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड पैनल का हिस्सा थे। बाद में 2018 में ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन को शामिल किया गया।
दुनिया भर के चक्रवातों के नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (आरएसएमसी) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्रों (टीसीडब्ल्यूसी) द्वारा दिया गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग सहित कुल छह आरएसएमसी और पांच टीसीडब्ल्यूसी हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) को एक मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी सहित उत्तर हिंद महासागर में विकसित होने वाले चक्रवातों के नाम देना अनिवार्य कर दिया गया है। 13 देशों के सुझावों के अनुसार, आईएमडी ने अप्रैल, 2020 में चक्रवात के नामों की एक सूची जारी की। अर्नब, निसर्ग, आग, व्योम, अजार, प्रभंजन, तेज, गति, लुलु जैसे 160 नामों को सूचीबद्ध किया गया। आईएमडी के अनुसार, नाम लिंग, राजनीति, धर्म और संस्कृति के प्रति निष्पक्ष होने चाहिए, भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाने वाला, आक्रामक नहीं होना, छोटा होना, उच्चारण करने में आसान होना चाहिए।