मांगों को लेकर खफा हुआ अन्नदाता, दूध और सब्जियों की हो सकती है किल्लत
मांगों को लेकर खफा हुआ अन्नदाता, दूध और सब्जियों की हो सकती है किल्लत
नई दिल्ली। 22 राज्यों के 130 से अधिक किसान संगठनों की सदस्यता वाले किसान महासंघ ने अपनी मांगों के समर्थन में आज से 10 दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू कर दी। हड़ताल से निपटने के लिए प्रशासन ने बड़े स्तर पर सुरक्षा तैयारियां की हैं। हड़ताल की वजह से लोगों को सब्जियों और दूध की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतनाम सिंह ने बताया हड़ताल की अवधि में किसान दूध, सब्जी और चारा शहर में नहीं बेचेंगे और न बाजार से खरीदेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की किसान विरोधी नीतियों की वजह से कृषि क्षेत्र लगातार पिछड़ता जा रहा है। किसान कर्ज के बोझ से दबते जा रहे हैं। आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन कोई उनकी ओर देखने वाला नहीं है।
More than 130 Farmers organisations are with us. This has now become a nationwide agitation. We have named the protest "Gaon Band". We won"t go to cities, as we don"t want to heckle the normal lives of the people: Shiv Kumar Sharma, President, Rashtriya Kisan Mazdoor Mahasangh pic.twitter.com/1UW0L0y7Nw
— ANI (@ANI) June 1, 2018
"गांव बंद" को लेकर क्या बोले "कक्काजी"
गांव बंद को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार कक्काजी ने कहा कि बंद को 130 किसान संगठनों का समर्थन है। ये देशव्यापी आंदोलन है। आंदोलन को "गांव बंद" नाम दिया गया है। इस दौरान किसान शहर नहीं जाएंगे, क्योंकि हम नहीं चाहते कि आम आदमी की जिंदगी में खलल पड़े। उन्होंने कहा कि 10 जून को भारत बंद रहेगा। सभी व्यापारियों से अपील है कि अपनी दुकानें 10 जून दोपहर 2 बजे तक बंद रखें और पिछले सालों के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दें।
#MadhyaPradesh: Visuals of security in Mandsaur as farmers observe 10-days" "Kisan Avkash" during which they will not supply vegetables, grains and to the cities. pic.twitter.com/SWVmAqYulp
— ANI (@ANI) June 1, 2018
किसानों की क्या मांग है?
- कक्काजी ने कहा कि किसानों को बदहाली से उबारने का एक ही तरीका है कि उनका कर्ज माफ कर दिया जाए।
- उन्हें फसल की लागत के साथ 50 फीसदी मुनाफा दिया जाए। ताकि वे आगे फिर कर्ज के दुष्चक्र में न फंस जाएं।
- स्वामीनाथन रिपोर्ट को तुरंत लागू किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को फसल का सही दाम मिल सके।
- पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना भी किसानों की प्रमुख मांग है।
22 राज्यों के 130 से अधिक संगठनों का समर्थन
- किसान आंदोलन को देश के 22 राज्यों के 130 से अधिक किसान संगठनों का समर्थन हासिल है।
- मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब के किसान संगठनों ने भी इसका समर्थन किया है।
- छत्तीसगढ़ का प्रगतिशील किसान संगठन भी बंद में शामिल होगा। इस संगठन के साथ 35 हजार किसान जुड़े हैं।
- इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के 7 अन्य संगठन भी इसका समर्थन कर रहे हैं।
आंदोलन के दौरान 10 दिन तक गांवों से सब्जी और दूध की शहरों में सप्लाई नहीं करने दी जाएगी। किसान संगठनों ने कहा कि इस दौरान खरीदारी करने शहर से लोग गांव आतें हैं, तो आंदोलनकारी किसान उसका विरोध नहीं करेंगे।
MP में बरती जा रही विशेष सतर्कता
किसानों के इस आंदोलन को लेकर मध्य प्रदेश में विशेष सतर्कता रखी जा रही है। मंदसौर में पिछले साल 6 जून को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में कई किसान मारे गए थे। आंदोलन के दौरान गोलीकांड की बरसी भी पड़ रही है। इसे देखते हुए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं। आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने लाठी, डंडे, वाहन और अतिरिक्त फोर्स का बड़े पैमाने पर प्रबंध किया गया है। प्रशासन ने 35 जिलों में करीब 10 हजार लाठी-डंडे बंटवाए हैं और 5000 अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं।
मंदसौर में धारा 144 लगाई
मंदसौर गोली कांड की बरसी 6 जून को है। इसी दिन कांग्रेस की मंदसौर में मेगा रैली है। इस रैली को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी संबोधित करेंगे। राज्य सरकार ने एहतियाती कदमों के तहत धारा 144 लगाने के अलावा मंदसौर और आसपास के इलाकों में सोशल मीडिया पर बंदिश लगा दी है। सरकार ने ये भी दावा किया है कि दस दिन की घेराबंदी के दौरान जरूरी सामान की आपूर्ति ठप नहीं होने दी जाएगी। मंदसौर में कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए रिजर्व पुलिस फोर्स की पांच अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है। संवेदनशील स्थानों पर गड़बड़ी फैलाने की संभावना वाले लोगों पर नजर रखने के लिए 200 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं।
1200 लोगों को प्रतिबंधात्मक नोटिस
मध्य प्रदेश में किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित किसान आंदोलन से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन ने करीब 1200 लोगों को प्रतिबंधात्मक नोटिस जारी किए हैं। आईजी मकरंद देउस्कर ने बताया कि आंदोलनकारियों से निपटने के लिए पुलिस तैयार है। 100 के करीब चार पहिया पुलिस वाहनों को भेजा गया। सबसे ज्यादा वाहन इंदौर, राजगढ़ में 8-8, मुरैना में 7, भोपाल, दतिया में 6-6, शिवपुरी, गुना, सतना में 5-5 गाड़ियां दी गई।
आंदोलन को राजनीत का मंच नहीं बनने देंगे
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने कहा कि यह आंदोलन किसानों का है। इसलिए इसे राजनीतिक दलों को मंच नहीं बनने देंगे, लेकिन अगर कोई नेता किसान हितों के समर्थन में साथ आना चाहता है तो आंदोलन में भाग ले सकता है। हम चाहते हैं कि किसान आंदोलन में राजनीति नहीं की जाए।
किसानों की चार प्रमुख मांगें
- पहली मांग-फसल की लागत का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिले
- दूसरी मांग-किसानों को कर्जमुक्त किया जाए
- तीसरी मांग- छोटे किसानों की एक आय निश्चित की जाए
- चौथी मांग-फल, दूध, सब्जी को समर्थन मूल्य के दायरे में लाकर डेढ़ गुना लाभकारी दाम मिलें
यह है कार्यक्रम
- 1 जून से फल, दूध, सब्जी की आवक गांवों से शहर में बंद कराएंगे।
- 6 जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी को लेकर मरने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देंगे।
- 8 जून को असहयोग दिवस के रूप में मनाएंगे।
- 10 जून को दोपहर 2 बजे तक पूरा भारत बंद कराएंगे।