मूर्तियों पर पैसे की बर्बादी : SC में मायावती का जवाब- यह लोगों की इच्छा थी
मूर्तियों पर पैसे की बर्बादी : SC में मायावती का जवाब- यह लोगों की इच्छा थी
- 2009 में मायावती के खिलाफ दाखिल हुई थी जनहित याचिका।
- मायावती ने कहा- मूर्तियां जनता की इच्छा को दर्शाती हैं।
- मूर्तियों पर खर्च को लेकर मायावती ने SC में दाखिल किया हलफनामा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मूर्तियों पर हुए खर्च के मामले में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। अपने हलफनामे में मायावती ने हाथी और अपनी मूर्तियों पर खर्च रकम को सही ठहराया है। मायावती ने कहा, हाथियों की मूर्तियां और उनके स्टैचू को लगाने से पहले प्रक्रिया का पालन किया गया था और यह लोगों की इच्छा थी कि उनकी मूर्तियां लगनी चाहिए।
BSP chief Mayawati files affidavit before the Supreme Court justifying expenses in installation of her statues and elephant statues in Uttar Pradesh. In her affidavit she has stated, "it was the will of the people". (file pic) pic.twitter.com/eFAhTdwsqw
— ANI (@ANI) April 2, 2019
मायावती ने हलफनामा दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट को दिए जवाब में कहा, यह लोगों की इच्छा थी। विधानसभा में चर्चा के बाद मूर्तियां लगाई गईं और इसके लिए सदन से बजट भी पास कराया गया था। मायावती ने कहा, उनकी मूर्तियां लगाना जनभावना थी साथ ही यह बीएसपी के संस्थापक कांशीराम की भी इच्छा थी। मायावती ने अपने जवाब में कहा, दलित आंदोलन में उनके योगदान के चलते मूर्तियां लगवाई गईं। ऐसे में पैसे लौटाने का सवाल ही नहीं उठता है।
She had filed the affidavit in compliance with the last order of the Supreme Court asking her that prima facie, it seems that she needs to pay back the money as she had spent a lot of public money on installation of many statutes of herself and elephants in UP. https://t.co/ipJ8dGGyMM
— ANI (@ANI) April 2, 2019
दरअसल मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था, क्या मूर्तियों पर हुए खर्च को मायावती से वसूला जाना चाहिए। 8 फरवरी को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था, कोर्ट का विचार है मायावती को मूर्तियों पर हुए खर्च को अपने पास से सरकारी खजाने में अदा करना चाहिए। बता दें कि मायावती की तरफ से सतीश चंद्र मिश्रा केस की पैरवी कर रहे हैं। याचिकाकर्ता रविकांत ने मायावती और हाथी की मूर्तियों के निर्माण पर हुए खर्च को बीएसपी से वसूलने की मांग की थी। यह जनहित याचिका 2009 में दाखिल की गई थी।
सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए खर्च करने का आरोप
रविकांत ने अपनी याचिका में दलील दी है कि, सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पर्यावरण को लेकर व्यक्त की गई चिंता को देखते हुए इस मामले में कई अंतरिम आदेश और निर्देश दिए थे। निर्वाचन आयोग को भी निर्देश दिए गए थे कि चुनाव के दौरान इन हाथियों को ढका जाए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मायावती ने मूर्तियों के निर्माण पर 2008-09 के दौरान सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए हैं।