कोरोना/लॉकडाउन: राहुल का मोदी सरकार पर हमला, कहा- किसी की सुने बिना फैसला करना विनाशकारी
कोरोना/लॉकडाउन: राहुल का मोदी सरकार पर हमला, कहा- किसी की सुने बिना फैसला करना विनाशकारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण देशभर उपजे संकट और बिगड़े हालातों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार अलग-अलग एक्सपर्ट्स से बात कर रहे हैं। इसी बीच आज (12 जून) राहुल गांधी ने पूर्व अमेरिकी राजनयिक निकोलस बर्न्स से बात की। इस दौरान दोनों ने दुनिया में इस वक्त के माहौल पर चर्चा की साथ ही अश्वेत नागरिक, हिन्दू-मुस्लिम, लोकतंत्र समेत कई मसलों पर भी बात हुई। राहुल ने दोनों देशों में कोरोना की लड़ाई, लॉकडाउन और फिर उसके असर पर अपने विचार साझा किए।
WATCH: In conversation with Ambassador Nicholas Burnson the Covid19 crisis. https://t.co/qXkUbx2mxx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 12, 2020
निकोलस से बातचीत के दौरान देश में लॉकडाउन को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, हम एक भयानक समय से गुजर रहे हैं लेकिन उम्मीद है कि बेहतर समय जरूर आएगा। उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, आप एकतरफा फैसला करते हैं। देश में सबसे बड़ा और कठोर लॉकडाउन किया गया। लाखों दिहाड़ी मजदूर लाखों किलोमीटर पैदल चले। ऐसे में यह एकतरफा नेतृत्व बहुत ही विनाशकारी है, लेकिन यह समय की बात है। दुर्भाग्यपूर्ण है।
अमेरिका और भारत में पहले जैसी सहिष्णुता नहीं- राहुल
राहुल से बातचीत में निकोलस ने कहा, कोरोना को लेकर भारत और कैंब्रिज में एक जैसे हालात हैं। यहां भी लॉकडाउन है। राहुल गांधी ने कहा, इन दिनों अमेरिका और भारत में वह सहिष्णुता देखने को नहीं मिल रही है जो पहले थी। निकोलस बर्न्स ने कहा, कई मायनों में भारत और अमेरिका एक जैसे हैं। हम दोनों ब्रिटिश उपनिवेश के शिकार हुए, हम दोनों ने अलग-अलग शताब्दियों में उस साम्राज्य से खुद को मुक्त कर लिया।
इस पर राहुल ने कहा, मुझे लगता है कि, हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं। हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है। हम नए विचारों को स्वीकार करने वाले हैं। हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही।
But the surprising thing is, that open DNA has sort of disappeared. I don"t see that level of tolerance that I used to see in US and India: Rahul Gandhi in conversation with Former American diplomat Nicholas Burns
— ANI (@ANI) June 12, 2020
2/2 https://t.co/BJHzx4Dqz7
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देश की नींव कमजोर करने वाले खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं- राहुल
राहुल ने कहा, विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है, लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में चित्रित करते हैं। देश की नींव को कमजोर करने वाले लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं। जब अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों, मैक्सिकन और अन्य लोगों को बांटते हैं और इसी तरह से भारत में हिन्दुओं, मुस्लिमों और सिखों को बांटते हैं तो आप देश की नींव को कमजोर कर रहे होते हैं। लेकिन फिर देश की नींव को कमजोर करने वाले यही लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं।
निकोलस बर्न्स ने कहा, हमारे देश में संस्थान मजबूत बने हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से सेना और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी स्पष्ट कह रहे हैं कि हम अमेरिकी सैन्य टुकड़ियों को सड़कों पर नहीं उतारेंगे। यह पुलिस का काम है, न कि सेना का। हम संविधान का पालन करेंगे। हम लोकतांत्रिक हैं, अपनी स्वतंत्रता के कारण हमें कभी-कभी दर्द से गुजरना पड़ सकता है, लेकिन हम उनकी वजह से बहुत मजबूत हैं। अधिनायकवादी देशों के मुकाबले यही हमारा फायदा है।
भारत-अमेरिका के बीच संबंधों में प्रगति
राहुल ने कहा, जब हम भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को देखते हैं, तो पिछले कुछ दशकों में बहुत प्रगति हुई है। लेकिन जिन चीजों पर मैंने गौर किया है, उनमें से एक यह है कि जो साझेदारी का सम्बन्ध हुआ करता था, वो शायद अब लेन-देन का ज्यादा हो गया है। भारत-अमेरिका संबंध काफी हद तक लेन-देन को लेकर प्रासंगिक हो गया है। एक ऐसा संबंध जो शिक्षा, रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल जैसे कई मोर्चों पर बहुत व्यापक हुआ करता था, उसे अब मुख्य रूप से रक्षा पर केंद्रित कर दिया गया है।
दोनों देशों के बीच गहरा नाता है- निकोलस
निकोलस बर्न्स ने कहा, भारतीय-अमेरिकी समुदाय में परिपक्वता रही है और यह दोनों देशों के बीच गहरा नाता है। इसलिए मुझे बहुत उम्मीद है कि न केवल हमारी सरकारें बल्कि अमेरिका और भारत, हमारे समाज बहुत बारीकी से परस्पर जुड़े हुए हैं, संघटित हैं और यह एक बड़ी ताकत है। हमारा सैन्य संबंध भी बहुत मजबूत है। यदि आप बंगाल की खाड़ी और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में अमेरिका-भारत नौसेना और वायु सेना के परस्पर सहयोग के बारे में सोचें, तो हम वास्तव में एक साथ हैं और मुझे इसलिए ही उम्मीद है। इस पर सहमति जताते हुए राहुन ने कहा, भारतीय अमेरिकी समुदाय दोनों देशों के लिए एक वास्तविक संपत्ति है। यह एक साझी संपत्ति और अच्छा नाता है।
दोनों देश मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं- निकोलस
निकोलस ने कहा, यदि भविष्य में कोई महामारी आए, जिसकी संभावना है, तो दोनों देश मिलकर अपने समाज के गरीब लोगों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। मैं हमारे रिश्ते को उस दिशा में भी जाते देखना चाहूंगा।
अमेरिका से वैश्विक विचारों की अपेक्षा- राहुल
राहुल ने कहा, अगर मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास को देखता हूं और पिछली शताब्दी की ओर देखता हूं तो मुझे बड़े विचार दिखाई देते हैं। मैं मार्शल प्लान देखता हूं। उदाहरण के लिए अमेरिका ने जापान के साथ कैसे काम किया, कोरिया के साथ कैसे काम किया। ये समाज बदल गए। मुझे अब वैसा नहीं नजर आता। मुझे अमेरिका से आने वाली वो परिवर्तनकारी दृष्टि नजर नहीं आ रही। कोई अमेरिका से क्षेत्रीय विचारों की उम्मीद नहीं करता है, वैश्विक विचारों की अपेक्षा करता है।
हम खुद को चीन से अलग नहीं रख सकते- निकोलस
निकोलस बर्न्स ने कहा, हम चीन के साथ संघर्ष नहीं चाह रहे हैं, लेकिन हम एक तरह से चीन के साथ विचारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। हम खुद को चीन से अलग नहीं रख सकते। वहीं राहुल ने कहा, मैं बिना हिंसा के सहकारी प्रतिस्पर्धा का पक्षधर हूं। उनके पास एक अलग वैश्विक दृष्टि है, जो अधिनायकवादी है। हमारा लोकतांत्रिक वैश्विक दृष्टिकोण है और मुझे पूरा विश्वास है कि लोकतांत्रिक दृष्टिकोण बेहतर रहेगा।