जन्मदिन विशेष: ऐसा था भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन

जन्मदिन विशेष: ऐसा था भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-30 10:20 GMT
जन्मदिन विशेष: ऐसा था भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन
हाईलाइट
  • 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था गांधी जी का जन्म
  • अहमदाबाद में की थी सत्याग्रह आश्रम की स्थापना
  • वकालत की पढ़ाई के लिए विदेश गए थे गांधी जी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है। महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो पोरबंदर में कठियावाड़ रियासत के दीवान थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई स्थानीय स्कूलों में हुई। वो पोरबंदर के प्राथमिक स्कूल में उसके बाद राजकोट स्थित अल्बर्ट हाई स्कूल में पढ़े। 

गांधी जी वकालत की पढ़ाई के लिए गए थे विदेश
1883 में जब गांधी जी सिर्फ 13 वर्ष के थे तब उनकी शादी कस्तूरबा माखनजी से कर दी गई थी। शादी के बाद 1888 में गांधी जी वकालत की पढ़ाई करने के लिए ब्रिटेन गए। जून 1891 में वो वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद वापस अपने देश आ गए थे। 1893 में गांधी जी गुजराती व्यापारी शेख अब्दुल्ला के वकील के तौर पर काम करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। गांधी जी रस्किन बॉण्ड और लियो टॉलस्टाय की शिक्षा से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। वो जैन दार्शनिक राज चंद्र से भी प्रेरित थे। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्टाय फार्म की भी स्थापना की थी। लंदन प्रवास के दौरान उन्होंने हिंदू, ईसाई और इस्लाम धर्मों का अध्ययन किया था। उन्होंने विभिन्न धर्मों के प्रमुख बुद्धजीवियों के साथ धर्म संबंधी विषयों पर काफी चर्चा की थी। 

अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना 
गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों के अधिकारों और ब्रिटिश शासकों की रंगभेद की नीति के खिलाफ सफल आंदोलन किए। 1915 में जब वो भारत वापस आए तो उनकी आगवानी के लिए मुंबई के कई प्रमुख कांग्रेसी नेता उनके स्वागत के लिए पहुंचे। इन नेताओं में गोपाल कृष्ण गोखले भी शामिल थे, जिन्हें गांधी जी अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। महात्मा गांधी की भारत वापसी के पीछे गोखले की अहम भूमिका थी। भारत आने के बाद गांधी ने मई में गुजरात के अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की। 

इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्‍मा गांधी ने भारतीय स्‍वतंत्रता के लिए किए जाने वाले अन्‍य अभियानों में सत्‍याग्रह और अहिंसा के विरोध जारी रखी, जैसे कि "असहयोग आंदोलन", " अवज्ञा आंदोलन", "दांडी यात्रा" तथा "भारत छोड़ो आंदोलन"। गांधी जी के इन सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्‍त 1947 को स्‍वतंत्रता मिल गई।

महात्मा गांधी का सामाजिक जीवन 
महात्मा गांधी सादा जीवन जीवन उच्च विचार को मानने वाले व्यक्ति थे। उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग महात्मा करकर पुकारते थे। गांधीजी प्रजातंत्र के बहुत बड़े समर्थक थे और अपना हथियार सत्य और अहिंसा को कहा करते थे। इन्हीं दो हथियारों के बल पर उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराया था। गांधीजी ऐसे व्यक्तितिव के धनी थे कि उनसे जो भी मिलता था वो पहली ही बार में बहुत प्रभावित हो जाता था। गांधी जी ने समाज में फैली छुआछूत की की भावना को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किए। उन्होंने पिछड़ी जातियों को ईश्वर के नाम पर हरि-जन नाम दिया और जीवनभर उनके उत्थान के लिए प्रयासरत रहे। 

नाथूराम गोडसे ने की थी महात्मा गांधी की हत्या 
जीवनभर सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने की बात कहते हुए 1948 में दुनिया को अलविदा कह गए। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी। उन्हें तीन गोलियां मारी गईं थीं जिसके बाद उनके मुख से अंतिम शब्द निकले थे "हे राम"। 

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