कर्नाटक विधानसभा चुनाव : अब नतीजों की बारी, क्या कांग्रेस बचा पाएगी राज्य?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव : अब नतीजों की बारी, क्या कांग्रेस बचा पाएगी राज्य?
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा की 222 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आज 15 मई को घोषित किए जाएंगे। राज्य विधानसभा की दो सीटों पर चुनाव नहीं हुआ है। एक सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के निधन से चुनाव रद्द हुआ, जबकि दूसरी आरआर नगर सीट पर एक फ्लैट से बड़ी संख्या में फर्जी वोटर आईडी बरामद होने के बाद चुनाव रद्द किया गया। चुनाव प्रचार में सत्तारूढ़ कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस ने अपना पूरा जोर लगाया है। इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने धुआंधार रैलियां, जनसभाएं और रोडशो किए। अंतिम समय तक सभी दलों के कार्यकर्ता मतदाताओं से डोर टू डोर संपर्क करने में लगे रहे। कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस तीनों अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या कांग्रेस कर्नाटक को बचा पाएगी या बीजेपी इस राज्य में भी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर देगी।
बता दें कि एक्जिट पोल में हंग एसेंबली में बीजेपी को सबसे बड़ा दल बताया गया है। इसमें कांग्रेस दूसरे और जेडीएस तीसरे स्थान पर बताई गई है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 113 विधायक चाहिए होंगे। अगर एक्जिट पोल का अनुमान ठीक निकला तो किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की सूरत में जेडीएस किंग मेकर की भूमिका में रहेगी।
कांग्रेस के लिए नाक का सवाल है यह चुनाव
राज्य में इस समय कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव जीतना बेहद अहम है। कांग्रेस की इस समय केवल 4 राज्यों में सरकार है, जबकि बीजेपी गठबंधन की 20 राज्यों में सरकार है। कांग्रेस शासित राज्यों में कर्नाटक ही एकमात्र बड़ा राज्य है। कांग्रेस किसी भी सूरत में इस आखिरी बड़े राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहेगी। उधर, बीजेपी मोदी मैजिक के सहारे सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है। हाल ही में पूर्वोत्तर में विजय पताका लहराने वाली बीजेपी के लिए भी यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है। यही वजह है कि चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाएं शुरू कर दी थीं। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को जमकर निशाने पर लिया था।
कर्नाटक में सीटों का गणित
कुल 224 सीटों में से सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 113 सीटों का है। वर्तमान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास 122 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 43 और जेडीएस के पास 37 सीटें हैं। कर्नाटक असेंबली का कार्यकाल मई 2018 में समाप्त हो रहा है।
निर्णायक साबित होंगे दलित-मुस्लिम मतदाता
कर्नाटक में दलित समुदाय के 19 फीसदी मतदाता भी बहुत महत्व रखते हैं। कर्नाटक में दलित मतदाता सबसे ज्यादा हैं। इस वर्ग में काफी विभाजन हैं, लेकिन बसपा से गठबंधन कर जेडीएस इस वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है। इसके अलावा कांग्रेस के साथ जेडीएस की लड़ाई मुस्लिम वोट बैंक को लेकर भी है। अगर जेडीएस इन वर्गों में सेंध लगाने में कामयाब रही, तो इसकी कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ेगी। दक्षिणी जिलों में बीजेपी को उम्मीद कांग्रेस के पूर्व नेता और राज्य के पूर्व सीएम एस. एम कृष्णा पर केंद्रित है, जो अब बीजेपी के पाले में आ चुके हैं।
सब विकल्प मौजूद, देखना है किस करवट बैठता है ऊंट
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी तो जेडीएस की भूमिका सहज ही किंग मेकर की होगी। बीजेपी और कांग्रेस दोनों के साथ जेडीएस सरकार बना चुकी है। ऐसे में किसी भी खेमे में जाना उसके लिए संभव है। बीजेपी के साथ जाकर जेडीएस केंद्र की सत्ता में भागीदारी पा सकती है। इसके साथ ही वह सन 2019 के लिए चुनाव के लिए एनडीए का हिस्सा बन सकती है। इसके साथ ही जेडीएस के लिए कांग्रेस के खेमे में जाना भी असंभव नहीं है। कर्नाटक में जेडीएस ने बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा है। बसपा बीजेपी के खिलाफ देश की सियासत में कांग्रेस के साथ खड़ी है। इसके अलावा केरल में जेडीएस लेफ्ट विंग का हिस्सा है जो बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के साथ खड़ी है। यह परस्पर विरोधाभासी तस्वीर राज्य की राजनीति में किस तरह सत्ता समीकरणों को साधने में सहाय है, यह तो अगले दिनों में ही सप्ष्ट होगा।