मप्र राजनीति: उपचुनाव से पहले सियासी हलचल, सिंधिया ने ट्विटर प्रोफाइल से हटाया बीजेपी
मप्र राजनीति: उपचुनाव से पहले सियासी हलचल, सिंधिया ने ट्विटर प्रोफाइल से हटाया बीजेपी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल हुए दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने एक बार फिर मध्य प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है। दरअसल सिंधिया ने अपने ट्विटर प्रोफाइल से "बीजेपी" हटा दिया है। इसकी जगह पर उन्होंने जनता का सेवक (पब्लिक सर्वेंट) और क्रिकेट प्रेमी लिखा है।
कांग्रेस पार्टी छोड़ने से पहले भी सिंधिया ने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस हटा दिया था। इसी वजह से अब राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले "महाराज" के इस कदम को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं और कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। इस मामले को लेकर कुछ लोगों का कहना है, सिंधिया ने अपने प्रोफाइल में बीजेपी जोड़ा ही नहीं था। हालांकि इसपर पार्टी या सिंधिया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है।
सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने भी छोड़ी थी कांग्रेस पार्टी
बता दें कि सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बीजेपी ने सिंधिया को राज्यसभा सांसद का टिकट दे दिया है। वहीं जिन विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी, उनमें कमलनाथ मंत्रिमंडल के छह मंत्री भी थे, जिन्हें शिवराज कैबिनेट में शामिल किया गया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सिंधिया अपने ज्यादातर समर्थकों को शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल करवाना चाहते हैं।
शिवराज कैबिनेट का नहीं हो पा रहा विस्तार
वहीं शिवराज कैबिनेट के विस्तार को लेकर कई बार संभावित तारीखों का अनौपचारिक ऐलान किया गया। प्रदेश संगठन के साथ मुख्यमंत्री ने संभावित मंत्रियों की लिस्ट भी तैयार की जो मीडिया में लीक हो गई। लेकिन कैबिनेट विस्तार नहीं हो पाया।
कांग्रेस में 18 साल तक रहे सिंधिया
18 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया इसी साल होली के दिन बीजेपी में शामिल हुए। जिसके बाद उनके समर्थकों को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल करने के साथ सिंधिया को केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन अब उपचुनाव में उनके समर्थक पूर्व विधायकों को बीजेपी का टिकट मिलने में भी परेशानी की खबरें आ रही हैं। सिंधिया को मोदी कैबिनेट में शामिल करने की चर्चा भी अब थम गई है। जबकि बीजेपी में एंट्री के समय ग्वालियर-चंबल संभाग में उनके समर्थकों ने इसे जोर-शोर से प्रचारित किया था।
हालांकि सिंधिया और उनके समर्थकों की तरफ से अभी तक किसी तरह के असंतोष की बात सामने नहीं आई हैं लेकिन लोग यह बात कर रहे हैं कि, पार्टी में सिंधिया को कम आंका जा रहा है। ट्विटर प्रोफाइल से भाजपा हटाने को सिंधिया का राजनीतिक दबाव भी माना जा सकता है। क्योंकि कांग्रेस छोड़ने से पहले उन्होंने अपनी प्रोफाइल से पार्टी का नाम हटाया था।