अंग्रेजों के समय से चले आ रहे प्रतीक चिह्न से आज आजाद होगी भारतीय नौसेना, पीएम ने कहा विहंगम, विराट और विशेष है विक्रांत

आईएनएस विक्रांत लाइव अपडेट अंग्रेजों के समय से चले आ रहे प्रतीक चिह्न से आज आजाद होगी भारतीय नौसेना, पीएम ने कहा विहंगम, विराट और विशेष है विक्रांत

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-02 03:07 GMT
हाईलाइट
  • नौसेना के नए डिजाइन में नया चिह्न

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में स्वदेशी स्तर पर निर्मित आईएनएस विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है।  देश में एक नया भरोसा पैदा किया है। विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।  विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है. विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है।

पीएम ने आगे कहा  कि आज  केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। मोदी ने कहा कि विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का सबूत है। 

 

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनंत हैं, तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत।  आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत। 

        

इससे पहले  विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "अमृतकाल" के प्रारंभ में INS विक्रांत की कमीशनिंग अगले 25 सालों में राष्ट्र की सुरक्षा के हमारे मजबूत संकल्प को दर्शाती है।  विक्रांत आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत का एक असाधारण प्रतीक है।  रक्षा मंत्री ने कहा , आप सभी नौसेना की परंपराओं से अवगत हैं, "ओल्ड शिप्स नेवर डाई"। रक्षा मंत्री ने कहा 1971 के युद्ध में अपनी शानदार भूमिका निभाने वाले विक्रांत का यह नया अवतार, "अमृत-काल" की उपलब्धि के साथ-साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और बहादुर फौजियों को भी एक विनम्र श्रद्धांजलि है। 

                              

आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडियन नेवी को आईएनएस विक्रांत समर्पित किया। पीएम मोदी ने नए निशान का अनावरण कर,नौसेना को नया प्रतीक दिया है। इसके साथ ही भारतीय नौसेना को भारतीय प्रतीक मिल गया।  आपको बता दे भारतीय नौसेना में अभी तक ब्रिटिश औपनिवेशक काल का प्रतीक चला रहा था, जो आज हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही अंग्रेजों के समय से चले आ रहे चिह्न से भी आजादी मिल जाएगी। 

कोचीन शिपयार्ड पर तैयार किए गए इस स्वेदशी विमान वाहक पोत के निर्माण में करीब 20,000 करोड़ रुपये खर्च हुए है। स्वदेशी निर्मित   पोत के नौसेना में शामिल हो जाने से भारतीय नौसेना की ताकत दोगुनी हो जाएगी।  

आपको बता दे भारतीय नौसेना अंग्रजों से जमान में ही अस्तित्व में आई थी, जिसके चलते भारतीय नौसेना के वर्तमान झंडे में ध्वज के ऊपरी बाएं कोने में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस है। 1934 से पहले नौसेना को नौसेना सेवा के नाम से जाना जाता था। दो अक्टूबर 1934 को इसका नाम बदलकर रॉयल इंडियन नेवी रख दिया गया।  भारत के आजाद होने के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के साथ रॉयल शब्द को हटा दिया गया। और इसे भारतीय नौसेना कहा जाना लगा। उस वक्त ब्रिटेन के औपनिवेशिक झंडे को नहीं हटाया गया।  लेकिन अब भारतीय नौसेना को मिल रहे नए ध्वज में ब्रिटिश प्रतीक को हटाया जा रहा है।  मिली जानकारी के अनुसार नौसेना के नए डिजाइन के प्रतीक में एक सफेद ध्वज है, जिस पर क्षैतिज और लंबवत रूप में लाल रंग की दो पट्टियां हैं। साथ ही दोनों पट्टियों के मिलन बिंदु पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तंभ) स्थित है।

 

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