पुरानी दोस्ती की परंपरा निभाएगा भारत, दिल्ली से निकलेगा रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध का तोड़
रूस-यूक्रेन तनाव पुरानी दोस्ती की परंपरा निभाएगा भारत, दिल्ली से निकलेगा रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध का तोड़
- दोस्ती और व्यापार पर किसी भी तरह का ना पड़े असर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए है, इन देशों में यूरोपीय संघ के कई देश शामिल है। भारत इन सब से अलग प्रतिबंधों का तोड़ निकालने में लगा हुआ है जिससे उसके और रूस के बीच दोस्ती और व्यापार पर किसी भी तरह का असर ना पड़े। भारत अपने राजनैतिक और रक्षा मैत्रीय के चलते उन उपायों पर सोच विचार कर रहा है, जिससे प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच आर्थिक गतिविधि सुचारू रूप से बिना बाधा के चलती रहे। इसके लिए भारत रूपये में भुगतान के तंत्र को विस्तार देने के तरीकों पर काम कर रहा है।
यूक्रेन पर रूस का हमला सेंकड वर्ल्ड वार के बाद किसी यूरोपियन देश पर किया गया सबसे बड़ा हमला है। हमले के बाद यूक्रेन राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने दुनियाभर के देशों से रूस पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी। जिसके चलते यूरोपीय संघ ने रूस पर नए और कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका और ब्रिटेन रूस पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं। ये प्रतिबंध प्रमुख मुद्राओं में व्यापार करने और विशेष बैंकों व राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को लक्षित करने की रूस की क्षमता को बाधित करते हैं।
भारत ने इससे पहले कब की थी ये व्यवस्था
पश्चिमी देशों ने जब ईरान पर प्रतिबंध लगा दिये थे, तब भारत ने ईरान के साथ इसका इस्तेमाल अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम के लिए किया था, यह व्यवस्था साल 2012 में लाई गई थी और कई वर्षों से सही तरह से काम कर रही है।
दिल्ली का कहना है कि ट्रेड सेटलमेंट के लिए रूस भारत में कुछ सरकारी बैंकों में डॉलर्स की जगह रूपया खाता खोलें। अभी इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। आपको बता दें इन बैकों में रखा धन एक तरह से व्यापार भुगतान की गारंटी भी प्रदान करता है। खबरों के मुताबिक इस व्यवस्था का उपयोग अक्सर देशों द्वारा प्रतिबंधों के प्रहार से खुद को बचाने के लिए किया जाता है।
रूस प्रतिबंधों से भारत पर असर
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में बैठे अधिकारियों को चिंता है कि रूस पर लगे प्रतिबंधों के चलते देश में रासायनिक खाद की आपूर्ति बाधित हो सकती है। जिससे देश में खाद का संकट पैदा हो सकता है। रूस के साथ भारत के प्राचीन समय से ही राजनीतिक, रक्षा और व्यापारिक संबंध रहे हैं।