बिलकिस बानो केस में 134 पूर्व नौकरशाहों ने देश के नए प्रधान न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी, दोषियों को छोड़ने का फैसला बताया गलत
गुजरात सरकार के फैसले पर विरोध बिलकिस बानो केस में 134 पूर्व नौकरशाहों ने देश के नए प्रधान न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी, दोषियों को छोड़ने का फैसला बताया गलत
- 2002 में गोधरा मे बिलकिस बानो परिवार के लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी
डिजिटल डेस्क, गांधी नगर। बिलकिस बानो केस इन दिनों तूल पकड़ लिया है। इस मामले को लेकर जहां देशभर में चर्चा है तो वहीं अब 134 पूर्व नौकरशाह भी बिलकिस बानो मामले में सरकार के फैसले के खिलाफ उतर आए हैं। खबरों के मुताबिक, ये सभी अफसर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुजरात सरकार की तरफ से बिलकिस बानो केस में आजीवन सजा काट रहे दोषियों की सजा माफ करने पर विरोध जताया है। इसी कड़ी में सभी पूर्व नौकरशाहों ने भारत के नए मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिखी है। इस पत्र में साफतौर पर दोषियों को रिहा करने के फैसले को पूरी तरह से गलत बताया है। इसके साथ फैसले पर अमल करने व सुधार करने की भी गुहार लगाई है।
क्या है मामला?
गौरलतब है कि साल 2002 में गोधरा में बिलकिस बानो परिवार के लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं बिलकिस बानो गर्भवती थी फिर भी दोषियों ने उसके साथ दुराचार किया था। बाद में कोर्ट ने इस मामले में 11 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस बार 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर गुजरात सरकार ने इन दोषियों की सजा माफ कर दी और उन्हें रिहा कर दिया था। जिसके बाद से देशभर में यह मुद्दा गरमाया हुआ है।
कई बड़े नाम शामिल
गौरतलब है कि नए सीजेआई को यह पत्र लिखने वाले 134 लोगों में दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन व सुजाता सिंह और पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई जैसे अन्य नाम भी शामिल हैं। पूर्व नौकरशाहों ने साफ कहा है कि इन दोषियों की सजा माफ कर रिहा करना देश के साथ नाइंसाफी है।
इस चिट्ठी में कहा गया है कि हम आपको इस लिए लिख रहे हैं क्योंकि गुजरात सरकार के फैसले से हम व्यथित हैं। साथ ही मुझे भरोसा है कि देश के शीर्ष न्यायिक संस्थान और उसके अंदर इस फैसले को सुधारने की क्षमता है। पूर्व नौकरशाहों की तरफ से भेजी गई इस चिट्ठी से साफ है कि गुजरात सरकार अपने फैसले के बाद बुद्धिजीवी लोगों के भी निशानें पर है।
दोषियों की रिहाई पर रोष
पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में लिखा है कि बीते दिनों 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जो कुछ भी हुआ व उससे हम सभी अचंभित रह गए। गौरतलब है कि भारत के नए न्यायाधीश यूयू ललित ने शनिवार को ही देश के 49वें सीजेआई के तौर पर शपथ ली है। बीते 25 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को इस मामले को लेकर नोटिस भेजी थी।
गौरतलब है कि यह नोटिस 11 दोषियों की रिहाई के बाद भेजी गई थी। दोषियों की रिहाई के बाद देशभर में गुजरात सरकार के फैसले का विरोध हो रहा है। लोग बिलकिस बानो के साथ घटित घटना को याद कर रहे हैं। बताया जाता है कि जब बिलकिस बानो के साथ यह घटना घटी थी तब वह महज 21 साल की थी।