आर्य समाज से शादी करने वालों के लिए बुरी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी शादी पर दिया चौंकाने वाला फैसला, तो क्या अवैध होंगी आर्य समाज की शादी?

क्या आपने की है आर्य समाज मंदिर से शादी? आर्य समाज से शादी करने वालों के लिए बुरी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी शादी पर दिया चौंकाने वाला फैसला, तो क्या अवैध होंगी आर्य समाज की शादी?

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-03 12:14 GMT
हाईलाइट
  • आर्य समाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाण पत्र जारी करना नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायाल ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आर्य समाज की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र को कानूनी मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि आर्य समाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाण पत्र जारी करना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का ये काम तो सक्षम प्राधिकरण ही करते हैं। कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि असली प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए। 

जानें पूरा मामला

गौरतलब है कि मामला प्रेम विवाह से संबंधित है। लड़की के परिजन ने उसे नाबालिग बताते हुए थाने में बलात्कार और अपहरण समेत कई गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। लड़की के घरवालों ने आरोपी युवक के खिलाफ आईपीसी की धारा 363,366,384,376(20)(n) और 384 के अलावा पॉक्सो एक्ट की धारी 5(L) तहत मामला थाने मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं युवक ने लड़की के परिजन के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि लड़की बालिग है, उसने अपनी मर्जी और अधिकार से शादी का फैसला किया है।

शादी आर्य समाज मंदिर में हुई है। युवक ने मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से जारी मैरिज सर्टिफिकेट को भी प्रस्तुत किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मानने से इंकार कर दिया है। गौरतलब है कि इस पूरे मामले को लेकर मप्र हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई करने के लिए हामी भर दी थी। 

क्या है आर्य समाज की शादी?

आजकल आर्य समाज से शादी काफी चर्चित है। इसके पीछे की वजह है कि शोबाजी से दूर रहने वाले लोग या फिर जाति प्रथा में विश्वास नहीं रखने वाले लोग आर्य समाज शादी की ओर रूख करते है। दरअसल आर्य समाज की स्थापना दयानंद सरस्वती ने किया था। इस समाज के अपनी खुद की मंदिर होती है, जहां शादी कराई जाती है।

भारत में आर्य समाज की शादी के लिए एक अधिनियम भी बनाया गया है, जिसे मैरिज वैलिडेशन एक्स, 1937 कहा जाता है। यह अधिनियम आर्य समाज की शादी की वैधता के संबंध में उल्लेख करता है। हालांकि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया कि आर्य समाज के शादी प्रमाण पत्र कानूनी नहीं है। इसलिए कहा जा सकता है कि अब आर्य समाज से शादी वैध नहीं मानी जाएगी। 

जानें शादी के नियम

गौरतलब है कि आर्य समाज से शादियां आर्य समाज के मंदिरों में संपन्न कराई जाती है। हालांकि आर्य समाज मूर्ति पूजा पर विश्वास नहीं रखता है। वैसे आर्य समाज को हिंदू धर्म का ही एक अंग माना जाता है। आर्य समाज की शादियां भी हिंदू वैदिक विवाह की तरह ही होती हैं। यहां पर भी अग्नि को साक्षी मानते हुए वर-वधू सात फेरे लेते हैं। आर्य समाज मंदिर में शादी करने के लिए पक्षकारों को सबसे पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है। ऐसा रजिस्ट्रेशन आर्य समाज के मंदिरों में किया जाता है। रजिस्ट्रेशन करते समय पक्षकारों के शादी करने के लिए योग्य होने की जांच की जाती है।

ये पता करने  का प्रयास किया जाता है कि जिन लोगों की शादी होने जा रही है, उनमें से किसी के पति या पत्नी तो नहीं या फिर दोनों की उम्र लड़का की 21 साल व लड़के की 18 साल से कम तो नहीं है। इन सभी दस्तावेज के साथ आर्य समाज मंदिर में रजिस्ट्रेशन के लिए प्रस्तुत करना होता है।

मंदिर प्रबंधक इन सभी की जांच करने के बाद शादी के लिए एक दिनांक निर्धारित करता है। ऐसा रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन भी करवाया जा सकता है या फिर सीधे मंदिर जाकर भी करवाया जा सकता है। शादी के लिए जो दिनांक तय की जाती है, दोनों पक्ष को उस दिनांक को आर्य समाज के मंदिर में जाना होता है। फिर अग्नि के सात फेरे दिलवा कर विवाह संपन्न करवा दिया जाता है।

आर्य समाज शादी की सर्टिफिकेट भी जारी करता है

आर्य समाज की तरफ से मंदिर में शादी करने के बाद मंदिर प्रबंधक विवाह का प्रमाण पत्र भी प्रदान करता है। जिसमें यह उल्लेख किया जाता है कि मेरे सामने दोनो पक्षकारों की शादी संपन्न कराई गई है। जिसमे दिनांक और समय का भी स्पष्टीकरण किया जाता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आर्य समाज की तरफ से जारी विवाह प्रमाण पत्र को कानूनी मान्यता देने से मना कर दिया है। 

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