एफसीआरए रिश्वत मामला: अदालत ने गृह मंत्रालय के पूर्व अधिकारी को दी जमानत
एफसीआरए रिश्वत मामला एफसीआरए रिश्वत मामला: अदालत ने गृह मंत्रालय के पूर्व अधिकारी को दी जमानत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) डिवीजन के एक पूर्व अधिकारी को जमानत दे दी है, जिन्हें कथित तौर पर गैर सरकारी संगठनों को रिश्वत के एवज में अवैध मंजूरी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सुनवाई के दौरान, आरोपी आलोक रंजन के वकील ने तर्क दिया कि तीन अन्य आरोपी लोक सेवकों - तुषार कांति रॉय, मोहम्मद शहीद खान और राजकुमार को भ्रष्टाचार के मामले में पहले ही रेगुलर बेल दी जा चुकी है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश अजय गुलाटी ने आदेश में कहा कि हालांकि प्राथमिकी में, आरोपी पर कई संगठनों से रिश्वत मांगने का आरोप है, मगर जांच में, जैसा कि आरोप पत्र में विस्तृत है, केवल एक विशेष एनजीओ के संबंध में उनकी भूमिका को उजागर किया गया है, जो हार्वेस्ट इंडिया है, जिससे उन्होंने प्रोसेसिंग के लिए रिश्वत मांगी थी। इसकी फाइल एफसीआरए डिवीजन में लंबित है।
अदालत ने जांच अधिकारी की इस दलील पर भी ध्यान दिया कि एनजीओ हार्वेस्ट इंडिया से जुड़ी संबंधित फाइलें पहले ही जब्त की जा चुकी हैं। इसके अलावा, यह देखा गया कि रिकॉर्ड की गई बातचीत का सबूत जांच अधिकारी के पास है। 21 जुलाई के आदेश में कहा गया है, आईओ ने यह भी सूचित किया है कि अन्य संगठनों/गैर सरकारी संगठनों की फाइलों को जब्त करने में कोई कठिनाई नहीं है, क्योंकि ये एफसीआरए डिवीजन के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। साथ ही, आईओ द्वारा आवेदक की आवाज का नमूना (वॉयस सैंपल) पहले ही लिया जा चुका है।
इसके अलावा, अदालत ने 5 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए कहा कि आरोपी अब दो महीने से अधिक समय से हिरासत में है और जांच का निष्कर्ष निकट भविष्य में होने की संभावना नहीं है, इसलिए वर्तमान आवेदन की अनुमति दी जानी चाहिए।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी एफसीआरए डिवीजन में संयुक्त सचिव के रैंक से नीचे के अधिकारी की लिखित अनुमति के बिना एफसीआरए डिवीजन कार्यालय में प्रवेश नहीं करेगा और वर्तमान में एफसीआरए डिवीजन में तैनात किसी भी अधिकारी के संपर्क में नहीं होगा। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी बिना पूर्व अनुमति के दिल्ली से बाहर नहीं जाएगा।
मई में, सीबीआई ने एमएचए में कथित भ्रष्टाचार में देश भर में 40 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 3.21 करोड़ रुपये नकद की वसूली हुई थी। सीबीआई ने तलाशी लेने के बाद 36 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें एमएचए और एनआईसी के एफसीआरए डिवीजन के सात अधिकारी शामिल थे। आरोप लगाया गया था कि एफसीआरए डिवीजन के कुछ अधिकारी प्रमोटरों, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और बिचौलियों के साथ साजिश कर रहे थे और गैर सरकारी संगठनों के लिए एफसीआरए पंजीकरण और नवीनीकरण के लिए भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे।
(आईएएनएस)
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