Earthquake: झारखंड के जमशेदपुर में 4.7 और कर्नाटक के हम्पी में 4.0 की तीव्रता से भूकंप के झटके, बड़े खतरे का संकेत

Earthquake: झारखंड के जमशेदपुर में 4.7 और कर्नाटक के हम्पी में 4.0 की तीव्रता से भूकंप के झटके, बड़े खतरे का संकेत

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-05 02:56 GMT
Earthquake: झारखंड के जमशेदपुर में 4.7 और कर्नाटक के हम्पी में 4.0 की तीव्रता से भूकंप के झटके, बड़े खतरे का संकेत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाद अब देश के अन्य दो राज्यों कर्नाटक और झारखंड में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सुबह 6.55 बजे लोगों ने भूकंप का झटका महसूस किया। कर्नाटक के हम्पी में भूकंप की तीव्रता 4 मापी गई। वहीं झारखंड के जमशेदपुर में रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.7 रही। फिलहाल दोनों ही जगहों पर जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

बुधवार को 3.2 तीव्रता से फिर थर्राई दिल्ली 
बता दें कि, दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को कम तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था। भूकंप का केंद्र दक्षिण पूर्व नोएडा था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NSC) के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.2 मापी गई, जो नोएडा के दक्षिण पूर्व में 19 किमी दूर रात 10.42 मिनट पर आया था। हालांकि भूकंप के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ था। गौरतलब है कि, दिल्ली और दिल्ली एनसीआर में पिछले डेढ़ महीने में 11 बार भूकंप के झटके लग चुके हैं। 

बार-बार भूकंप के झटके बड़े खतरे का संकेत
लगातार आ रहे भूकंप के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वक्त में यह एनसीआर के लिए बड़े खतरे का संकेत है। लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। बताया जा रहा है, दिल्ली-एनसीआर में धरती के अंदर प्लेटों के एक्टिव होने से ऊर्जा निकल रही है, जिससे रह-रहकर झटके महसूस हो रहे हैं।

12 अप्रैल से लगातार दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में आ रहे भूकंप
NSC के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में 12, 13 और 16 अप्रैल को भूकंप के झटके लगे। इसी तरह मई में भी भूकंप के झटकों का सिलसिला जारी रहा। 6, 10, 15 मई और 28 मई को दिल्ली-फरीदाबाद एनसीआर में झटके लगे। इसके बाद 29 मई को दो बार झटके लगे, जिसका केंद्र रोहतक रहा। NSC के मुताबिक इस अवधि में राजस्थान में एक, उत्तराखंड में चार और हिमाचल प्रदेश में भी छह बार भूकंप के झटके लगे। हालांकि गनीमत रही कि ये झटकों की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.2 से लेकर 4.5 तक रही। इससे अधिक तीव्रता के झटके लगने पर नुकसान की आशंका रहती है।

 

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