अफगानिस्तान में समीकरण बदलना भारत के लिए चुनौती, रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर किया
राजनाथ सिंह बोले अफगानिस्तान में समीकरण बदलना भारत के लिए चुनौती, रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर किया
- अफगानिस्तान को लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान
- अफगानिस्तान में बदलते समीकरण भारत के लिए एक चुनौती
- सरकार को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान में बदलते समीकरण भारत के लिए एक चुनौती है। तालिबान के 15 अगस्त को सत्ता संभालने के बाद से ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर सरकार को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हम अपनी रणनीति बदल रहे हैं और क्वाड का गठन इस रणनीति को रेखांकित करता है।"
राजनाथ सिंह ने कहा, "रक्षा मंत्रालय इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप के गठन पर बहुत गंभीरता से विचार कर रहा है। युद्धों के दौरान त्वरित निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। ये समूह न केवल तेजी से निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करेंगे बल्कि इंटीग्रेटेड फाइटिंग यूनिट्स की संख्या में भी वृद्धि करेंगे।"
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की थी और अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर चर्चा की। काबुल एयरपोर्ट के बाहर एक आत्मघाती बम विस्फोट के दो दिन बाद यह बातचीत हुई जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों समेत लगभग 170 अफगान लोग मारे गए।
जयशंकर ने ट्वीट किया, "अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन से बात की। अफगानिस्तान पर हमारी चर्चा जारी है। साथ ही यूएनएससी के एजेंडे पर विचारों का आदान-प्रदान किया।"
बता दें कि काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली है। संगठन ने एक आत्मघाती हमलावर की तस्वीर भी जारी की।
और क्या कहा रक्षा मंत्री ने?
-मिलिट्री पावर, ट्रेड, कम्युनिकेशन, इकोनॉमी और पॉलिटिकल इक्वेशन, सभी क्षेत्रों में यह बदलाव स्पष्ट देखा जा सकता है। ग्लोबलाइजेशन के इस युग में, दुनिया भर में हो रहे इन बदलावों से, कोई राष्ट्र अछूता रह जाए, मैं समझता हूं सभंव नही हैं।
-ऐसे में इन बदलावों के अनुपात में, या मैं कहूं उससे एक कदम आगे अपनी सुरक्षा तैयारियां रखना हमारी उपलब्धि न होकर हमारी जरूरत बन जाती है। समय के साथ सिक्योरिटी पैराडिम्म में बदलाव आज की वास्तविकता है।
-इन चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर अपनी तैयारियां सुदृढ़ करना, और मज़बूत रणनीति बनाना आज के समय की जरूरत है, और मांग भी है।
-जब से हमारा देश आजाद हुआ है तब से ही विरोधी ताकतों का यह प्रयास रहा है, कि वे किसी न किसी माध्यम से देश के भीतर अस्थिरता का माहौल पैदा कर सकें। पिछले 75 साल के इतिहास को उठाकर देखें, तो लगता है कि चुनौतियां मानों हमें विरासत में मिली हों। हमारे देश के सामने आने वाली चुनौतियों के paradigm में यह एक बड़ा बदलाव था।
-मुझे यह कहते हुए ख़ुशी होती है, कि इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए हमने अपनी सुरक्षा नीतियों में बड़ा परिवर्तन किया। एक नए डायनामिज्म के तहत हमने टेररिज्म के ख़िलाफ़ अपने रवैये को प्रो-एक्टिव बनाया है।
-भारत की सीमा पर चूनौतियों के बावजूद, आम आदमी को विश्वास है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। यह विश्वास धीरे-धीरे दृढ़ होता चला गया, कि भारत अपनी जमीन पर तो आतंक का खात्मा करेगा ही, जरूरत पड़ने पर उनकी जमीन पर जाकर भी वार करने से पीछे नहीं हटेगा।
-इसी तरह नॉर्दन सेक्टर में भी, पिछले साल सीमा पर स्टेटर-quo को बदलने का एकतरफा प्रयास किया गया। यहां भी हमने अपने पुराने रिस्पॉन्स से हटकर एक नए डायनामिज्म के साथ अपनी एडवर्सरी का सामना किया।
-आज दुश्मन को सीमा के अंदर घुसने की आवश्यकता नहीं रह गयी है। वह सीमा के बाहर से भी हमारी सिक्योरिटी एपेरेटस को निशाना बना सकता हैं। ग्लोबल पावर्स के अलाइनमेंट और री-अलाइनमेंट ने पहले से ही बदलती सुरक्षा चुनौतियों में और भी इजाफ़ा किया है।
-अफ़ग़ानिस्तान में बदलते समीकरण इसका एक ताज़ा और महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। इन परिस्थितियों ने आज हर एक देश को अपनी रणनीति पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। QUAD को इन बातों को ध्यान रख कर गठित किया गया है।
-साथियों, तेजी से बदलते हुए अंतर्राष्ट्रीय और National security Paradigm को देखते हुए, जिसका थोड़ा वर्णन मैंने अभी किया, हमने अपनी सुरक्षा नीतियों में न सिर्फ तात्कालिक, बल्कि futuristic reforms किए हैं। आज मैं आप लोगों से इस बारे में चर्चा करना चाहता हूं।
-15 अगस्त 2019 को CDS नियुक्त करने की घोषणा के साथ, यह स्पष्ट रूप से संकेत दिया गया था कि अतीत में कठोर निर्णय लेने की जो झिझक थी, वो अब बीते दिन की बात हो गयी है। डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफयेर्स के निर्माण ने इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया।
-DMA की स्थापना ने वास्तव में अनेक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता की है। DMA ने एक बार में ही, हमारी armed forces को सभी प्रक्रियाओं में direct involvement प्रदान कर गवर्नेंस से सीधे जोड़ दिया।
-इसी प्रकार CDS की नियुक्ति ने, डिफेंस और सिक्योरिटी के महत्वपूर्ण मुद्दों पर, सरकार के एक परमानेंट और सिंगल पॉइंट एडवाइजर के माध्यम से जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी को स्टेबलिटी प्रदान की।
-Defence reform process शुरू करने के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम था। इन steps ने, आगे के बदलावों के लिए आवश्यक दिशा दी है, और साथ ही coordination के लिए एक ऐसा system प्रदान किया है, जिसके तहत हम अपने प्रयासों को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं।
-साथियों, दूसरा बड़ा structural reform, joint commands के निर्माण से संबंधित है, जिस पर तेजी से प्रगति हो रही है। इन commands का concept, और उनके implementation पर विचार-विमर्श बहुत तेजी से चल रहा है।
-साथियों, Integrated Theatre Commands के गठन के साथ, भारतीय सेनाओं को संयुक्त रूप से लड़ने के लिए Integrated Operational Concepts और Doctrines develop करने की आवश्यकता होगी।
-इसका उद्देश्य हमारी Army के teeth to tail ratio को enhance करना, decision making में decentralisation लाना, और एक future oriented leaner force बनाना है।
-CDS और Joint Commands के अतिरिक्त, higher defence structural reforms में बहुत से कदम उठाए गए हैं, जिसमें Army Headquarter Restructuring भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
-Army Headquarter के Restructuring में लिए गए कदमों का एक उदाहरण ‘DGMO’ और ‘DGMI’ का, Deputy Chief of Strategy के तहत integrate करने का decision है। Head Quarter level पर इन दोनों के integration से हमारी operational planning में काफ़ी precision आएगी।
-ये "Integrated battle group, दुश्मनों के खिलाफ एकीकृत होकर युद्ध करने के लिए नए groups होंगे। इनमें नए युग के अनुसार अत्यंत घातक, ब्रिगेड के आकार के फुर्तीले और आत्मनिर्भर लड़ाकू formation बनाए जाएंगे
-हमारा मंत्रालय ‘Tour of Duty’ नामक पहल पर गंभीरता से विचार कर रहा है, जो मेरी समझ से आगे जाकर एक game changing reform के रूप में तब्दील होगा। इससे हमारी सेना की average age को कम करने में मदद मिलेगी, और उन्हें अधिक agile बनाया जा सकेगा।
-National security की बात हो तो हमारी बेटियों का ज़िक्र कैसे छूट सकता है? इतिहास बताता है कि हमारे देश को जब-जब सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, हमारी वीरांगनाएँ किसी मामले में पीछे नहीं रही हैं। तो भला आज वे कैसे पीछे रह सकती थीं?
-भारतीय वायुसेना के Next Generation Fighter Plane का 20 साल का इंतजार खत्म हुआ है। आज वायु सेना के पास राफेल जैसे fighter planes हैं और अब भारत की संप्रभुता, अखंडता, सीमा सुरक्षा को लेकर किसी भी चुनौती का जवाब देने की हमारी ताकत बहुत बढ़ गई है
-रक्षा मंत्रालय, सेना के मॉडर्नाइजेशन के प्रति सक्रियता से कार्य कर रहा है। इसके लिए Arjun Main Battle Tank, Light Utility Helicopter शामिल करने, Armoured Fighting Vehicles के counter measure systems विकसित करने के साथ, सेना की Air Defence guns को भी modernise किया जा रहा है।
-कुछ अन्य प्रमुख क्षेत्र जिन पर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, उनमें precision ammunition, communication network, mechanised forces की रात में लड़ने की क्षमता, UAVs और drones, Air defence और Aviation शामिल हैं।
-विदेशी कंपनियों के सामानों की जिस quality से हम प्रभावित होते हैं, वह quality एक दिन में नहीं बनी। उसमें भी बड़ा समय लगा और उन्हें अपने देश का बराबर support मिला। हमारे HAL का उदाहरण लें, इसने भी पहले दिन ही ‘तेजस’ का निर्माण नहीं कर लिया।
-हमारे समर्थन, और सेनाओं के विश्वास ने HAL को ‘तेजस’ के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान की। आज HAL को हमारी सेनाओं से, एकमुश्त लगभग 50 हजार करोड़ का order दिया गया है। यही नहीं, इस aircraft के लिए हम तो हम, बाहर के देश भी इसके आयात में अपनी रूचि दिखा रहे हैं।
-प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आत्मनिर्भर अभियान’ की शुरुआत में ही अपना व्यापक दृष्टिकोण प्रदान किया था। उनके दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, मैं defence और security के क्षेत्रों में सरकार, व्यापार और आत्मनिर्भरता की भूमिका को आपके सामने रखना चाहूंगा
-Defence modernisation के लिए allotted fund में domestic procurement का percentage बढ़ाकर 64.09% कर दिया गया है। साथ ही अगले financial years में, domestic capital procurement में private sector से direct procurement का percentage 15 फ़ीसदी कर दिया गया है।
-रक्षा मंत्रालय ने 209 items की ‘Positive Indigenization List’ भी जारी की, जिसका अर्थ है कि इन वस्तुओं की खरीद केवल घरेलू उद्योग से की जाएगी। यह रक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
-हमने strategic partnership Model के माध्यम से fighters planes, helicopter, Tank और Submarines सहित Mega Defence Programme के निर्माण के अवसर खोले हैं, जो आने वाले वर्षों में हमारी निजी कंपनियों को Global Giants बनने में मदद करेगें।
-उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में सरकार द्वारा घोषित दो Defence Industrial Corridors में निवेश के पर्याप्त अवसर पैदा हुए हैं। ये Corridor हमारे रक्षा उद्योग के लिए growth drivers के रूप में कार्य करेंगे।