देशभर में विस्तार को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना

शताब्दी वर्ष देशभर में विस्तार को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-06 07:31 GMT
देशभर में विस्तार को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना
हाईलाइट
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मनाया शताब्दी वर्ष

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2024-25 का वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष है इसलिए इसे लेकर आरएसएस खासतौर से तैयारी कर रहा है। देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष को लेकर देश के उन भागों में भी विस्तार की योजना बना रहा है, जहां फिलहाल संघ बहुत ज्यादा सक्रिय, या यूं कहे कि मजबूत नहीं है। इसके साथ ही संघ सामाजिक कार्यों में अपनी सक्रियता बढ़ाने के साथ-साथ शाखाओं की संख्या भी बढ़ाने को लेकर तेजी से काम कर रहा है।

दरअसल , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसे आमतौर पर आरएसएस या संघ के नाम से भी जाना जाता है, उसकी स्थापना स्वतंत्रता सेनानी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में की थी। स्थापना के बाद के लंबे समय तक संघ को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे उसकी सक्रियता और स्वीकार्यता दोनों ही बढ़ती चली गई। वर्तमान में संघ से जुड़ा राजनीतिक संगठन - भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में भाजपा की सरकार दोबारा सत्ता में आई है और राज्यों में भी भाजपा का डंका बज रहा है। लेकिन वर्तमान में भी दक्षिण भारत के कई राज्यों में भाजपा अपनी जड़ें जमाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और कुछ इसी तरह की हालत संघ की भी है।

ऐसे में शताब्दी वर्ष मनाने की तरफ बढ़ रहा संघ अब उन राज्यों और मंडलों में भी अपनी सक्रियता बढ़ाना चाहता है, जहां फिलहाल वो मजबूत नहीं है। संघ नेता लगातार इसे लेकर विचार-विमर्श भी कर रहे हैं। आपको बता दें कि, भारत में शहर और गांव में कुल मिलाकर 55 हजार से ज्यादा जगहों पर संघ की शाखाएं हैं या कार्य चल रहा है। संघ की योजना इसे दोगुने के लगभग यानि एक लाख तक पहुंचाने की है। वर्तमान में देश के लगभग सभी जिलों में किसी न किसी रूप में संघ सक्रिय है लेकिन शताब्दी वर्ष की तरफ बढ़ रहा संघ 2024 तक देश के सभी मंडलों तक अपना कार्य पहुंचाना चाहता है , संगठन को मजबूत करना चाहता है। तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विस्तार भी संघ के एजेंडे पर है। संघ पूर्वोत्तर के राज्यों में भी अपनी मजबूती पर खास फोकस करना चाहता है। इसके साथ ही संघ आने वाले वर्षों में कम से कम दो साल का समय देने वाले ज्यादा से ज्यादा कार्यकतार्ओं को भी तैयार करने की योजना पर काम कर रहा है।

संघ ने जहां एक ओर कोराना के संकट काल में ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करने का प्रयास किया वहीं दूसरी ओर श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान चला कर भी देश के गांव-गांव और शहर-शहर जाकर लोगों से संवाद भी स्थापित किया है। श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के दौरान संघ के लगभग 30 लाख स्वयंसेवकों ने देशभर में 6.5 लाख गांवों में से 5.34 लाख गांवों तक पहुंचकर 12.73 करोड़ परिवारों तक सीधा संपर्क स्थापित किया था। आने वाले दिनों में भी संघ लगातार समाज से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता के जरिए लोगों को अपने साथ जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। संघ पर्यावरण संरक्षण, परिवार प्रबोधन, समरसता और सामाजिक सद्भाव जैसे कार्यों को लेकर लोगों को अपना साथ जोड़ने की योजना पर कार्य कर रहा है।

संघ के संगठन और कार्यों के विस्तार पर चर्चा करने के लिए अगले सप्ताह गुजरात में संघ की तीन दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक भी होने जा रही है। गुजरात के कर्णावती (अहमदाबाद) में 11 से 13 मार्च के बीच होने वाली संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत संघ के वरिष्ठ नेताओं और भाजपा सहित संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तार की रणनीति को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा भी करेंगे। बैठक में संघ के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबाले,कृष्णगोपाल, मनमोहन वैद्य, मुकुंद, रामदत्त और अरुण कुमार के साथ ही भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं भाजपा राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे। बैठक में आरएसएस के प्रांतों से सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों, क्षेत्र एवं प्रांत के संघचालकों, कार्यवाहों और प्रचारकों के साथ ही संघ से जुड़े विभिन्न अन्य संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री और उनके सहयोगी भी शामिल होंगे।

आईएएनएस

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