बिप्लब देब होंगे त्रिपुरा के अगले CM, जिष्णु देव वर्मा बनेंगे डिप्टी सीएम
बिप्लब देब होंगे त्रिपुरा के अगले CM, जिष्णु देव वर्मा बनेंगे डिप्टी सीएम
डिजिटल डेस्क, अगरतला। मेघालय में NDA की सरकार बनने के बाद अब त्रिपुरा में भी मुख्यमंत्री के नाम का एलान कर दिया गया। त्रिपुरा में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे बिप्लब कुमार देब को मंगलवार को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। वहीं जिष्णु देव वर्मा त्रिपुरा की नई सरकार में डिप्टी सीएम रहेंगे। इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी। उन्होंने बताया कि बिप्लब देव 9 मार्च को सीएम पद की शपथ लेंगे। बता दें कि त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में बीजेपी गठबंधन ने 43 सीटें जीती हैं।देव का मप्र से गहरा नाता है , वे मप्र के सतना से सांसद गणेश सिंह के 11 साल तक निज सचिव रहे हैं. वे 2004 से 2015 तक उनके साथ रहे हैं.
मीटिंग में लगी नाम पर मुहर
त्रिपुरा में सरकार बनाने के लिए केंद्रिय मंत्री नितिन गडकरी को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा गया था। मंगलवार को स्टेट गेस्ट हाउस में गडकरी ने जीते हुए सभी 35 बीजेपी विधायकों के साथ मीटिंग की। इसी मीटिंग में बिप्लब कुमार देब को विधायक दल का नेता चुना गया। इसके साथ ही जिष्णु देव वर्मा को डिप्टी सीएम बनाने पर भी मुहर लगी।
Congratulations to Shri @BjpBiplab on being appointed as CM of Tripura Shri Jishnu Dev Varma on being appointed as deputy CM. Tripura will usher into a new era of good governance, development and prosperity for people under their leadership. pic.twitter.com/NVKzeyro6u
— BJP Tripura (@BJP4Tripura) March 6, 2018
9 मार्च को होगा भव्य शपथ समारोह
त्रिपुरा में सीएम के नाम का एलान होने के बाद अब 9 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह रखा गया है। शुक्रवार के दिन स्वामी विवेकानंद मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा। बीजेपी इस कार्यक्रम को भव्य बनाने की तैयारी में जोरों से लगी है। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में बीजेपी राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। इसके साथ ही खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में मौजूद रहेंगे।
बिप्लब देब का नाम ही क्यों?
चुनावी नतीजे आते ही त्रिपुरा के अगले सीएम के तौर पर बिप्लब कुमार देब का नाम सामने आ गया था। उसी दिन से बिप्लब देब सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहे थे और मंगलवार को इस नाम पर मुहर भी लग गई। बिप्लब देब ने 2018 के चुनावों में वेस्ट त्रिपुरा की बनमालीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और तृणमूल कांग्रेस के कुहेली दास को हराया। त्रिपुरा के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर बिप्लब देब को इसलिए भी चुना गया क्योंकि लो-प्रोफाइल रहकर भी वो अपना काम बखूबी अंदाज में करते हैं। इसके साथ ही बताया ये भी जाता है कि त्रिपुरा में पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों को कामयाब बनाने में भी बिप्लब ने पर्दे के पीछे से काफी काम किया है।
कौन हैं बिप्लब देब?
त्रिपुरा के अगले सीएम बनने जा रहे बिप्लब देब ने 1999 में त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। उनके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस भी दर्ज नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विप्लव ने अपने इलेक्शन कमीशन को दिए एफिडेविट में अपनी संपत्ति मात्र 2,99,290 रुपए बताई है। त्रिपुरा में बिप्लब की छवि बहुत साफ मानी जाती है। इतना ही नहीं कहा ये भी जाता है बिप्लब बोलने में नहीं बल्कि काम करने पर विश्वास रखते हैं। इसके साथ ही विप्लव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी जुड़े रहे हैं। विप्लव ने RSS के सीनियर लीडर केएन गोविंदाचार्य के साथ काम भी किया है और वो शुरुआत से ही RSS के साथ मिलकर काम करते रहे हैं। विप्लव ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा है और अभी वो 48 साल के हैं। विप्लव की वाइफ बैंक में काम करती हैं और एफिडेविट के मुताबिक, उनकी संपत्ति 9,01,910 रुपए है।
क्या रहे त्रिपुरा के नतीजे?
त्रिपुरा की 59 विधानसभा सीटों के लिए 17 फरवरी को वोटिंग हुई थी, जबकि नतीजे 3 मार्च को घोषित किए गए। इन चुनावों में बीजेपी ने इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसमें बीजेपी ने 51 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे और 35 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं IPFT ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और 8 पर जीत हासिल की। इन चुनावों में लेफ्ट को सिर्फ 16 सीटें ही मिल पाई। जबकि कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल सकी।
25 सालों बाद ढहा लेफ्ट का किला
त्रिपुरा में इन चुनावों में बीजेपी ने 25 सालों से सत्ता में काबिज लेफ्ट के किले को ढहा दिया। त्रिपुरा में 1978 के बाद से सिर्फ लेफ्ट सिर्फ एक बार 1988-93 के दौरान सत्ता से दूर रहा है। 1993 के बाद से 25 सालों से यहां CPI-M का कब्जा है और 1998 से लगातारा त्रिपुरा में 3 बार माणिक सरकार मुख्यमंत्री थे। 2013 के विधानसभा चुनावों में लेफ्ट ने यहां की 60 सीटों में 50 सीटों पर कब्जा किया था और कांग्रेस को 10 सीटें मिली थी। जबकि बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। वहीं 2018 में बीजेपी ने 35 सीटों पर कब्जा किया है।