असम: अगर माता-पिता का नाम NRC में शामिल है, तो बच्चे डिटेंसन सेंटर नहीं जाएंगे
असम: अगर माता-पिता का नाम NRC में शामिल है, तो बच्चे डिटेंसन सेंटर नहीं जाएंगे
- आर्जीकर्ता की वकील अपर्णा भट्ट ने जाहिर की आशंका
- सिर्फ 60 बच्चों के माता पिता को किया NRC में शामिल
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी। जिन बच्चों के माता या पिता को फाइनल एनआरसी में नागरिकता मिली है। उनके बच्चों को डिटेंसन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। असम एनआरसी से बाहर करने के आरोप लगाने वाली अर्जी पर केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जवाब दिया है। कोर्ट ने वेणुगोपाल का बयान आदेश में दर्ज कर लिया है। साथ ही कोर्ट ने ऐसे बच्चों को एनआरसी से बाहर करने वाली अर्जी पर केंद्र से जवाब भी मांगा है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए हैं।
सिर्फ 60 बच्चों के माता पिता को फाइनल NRC में किया शामिल
अर्जीकर्ता की वकील अपर्णा भट्ट ने कहा था कि, सिर्फ 60 बच्चों के माता- पिता को फाइनल एनआरसी में शामिल किया गया है। लेकिन उनके बच्चों को उससे बाहर कर दिया है। दरअसल, अपर्णा भट्ट ने आशंका जाहिर करते हुए कहा था कि, इन बच्चों को माता-पिता से अलग करके असम के डिटेंशन सेंटर में भेजा जा सकता है। जिस पर केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि, जब तक इस अर्जी पर निर्णय लंबित है तब तक ऐसे किसी भी बच्चों को परिजनों से अगल नहीं किया जाएगा और ना ही किसी बच्चे को डिटेंसन सेंटर भेजा जाएगा। अब कोर्ट ने इस मामले में सरकार से चार हफ्तों में जवाब मांगा है। जिसके बाद कोर्ट आगे की सुनवाई करेगा।
सिब्बल ने स्टेट कोआर्डिनेटर को हटाने की मांग रखी
एक एनजीओ की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से एनआरसी के लिए नए नियुक्त स्टेट कोआर्डिनेटर हितेष देव शर्मा को हटाए जाने की मांग की है। सिब्बल ने कहा, नवनियुक्त राज्य कोआर्डिनेटर ने बंगाली मुस्लिम और रोहिग्यां पर टिप्पणी की थी। राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि असम में एनआरसी का काम पूरा हो चुका है। इस लेहाज से अब नवनियुक्त राज्य कोआर्डिनेटर की जरुरत नहीं रह गई है।