पुतिन की परमाणु धमकी के बाद पूरी दुनिया में खौफ, जानते है परमाणु हथियारों का खतरा और किस देश के पास हैं कितने परमाणु हथियार 

रूस-यूक्रेन युद्ध पुतिन की परमाणु धमकी के बाद पूरी दुनिया में खौफ, जानते है परमाणु हथियारों का खतरा और किस देश के पास हैं कितने परमाणु हथियार 

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-02 15:02 GMT
पुतिन की परमाणु धमकी के बाद पूरी दुनिया में खौफ, जानते है परमाणु हथियारों का खतरा और किस देश के पास हैं कितने परमाणु हथियार 
हाईलाइट
  • रूस के पास करीब 6
  • 000 परमाणु हथियार होने का अनुमान हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण युद्ध में व्लादिमीर पुतिन की परमाणु बम इस्तेमाल करने की धमकी देने के बाद से यूक्रेन में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चिंताए की लकीरें खींच गई है, क्योंकि नुक्लियर अटैक विश्व युद्ध में तब्दील हो सकता है। रूसी राष्ट्रपति ने रविवार को Nuclear Deterrent Force को अलर्ट पर रहने का आदेश दे दिया है। 

 Nuclear Deterrent Force यानी परमाणु हमलों और ऐसे हमलों से बचाने वाली यूनिट। परमाणु हथियारों में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) शामिल हैं, जिनकी रेंज 5,000 से अधिक है और इन्हें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया है।

किस के पास कितने परमाणु हथियार 

  • रूस के पास करीब 6,000 परमाणु हथियार होने का अनुमान हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। 
  • इसके बाद अमेरिका का नंबर आता है, जिसके पास 5,000 परमाणु हथियार है, जिनमें से 1,500 से ज्यादा तो तैयार स्थिति में हैं। 
  • आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, चीन, इजराइल और उत्तर कोरिया जैसे देशों के पास कुल मिलाकर 1,000 से अधिक परमाणु हथियार हैं। 
  • यूके और फ्रांस के पास अपने खुद के परमाणु हथियार हैं। 
  • ब्रिटेन- 225 
  • फ्रांस-290 
  • भारत- 156 
  • पाकिस्तान-165 
  • चीन- 350 
  • इजराइल-90 
  • उत्तर कोरिया-40-50 

रूस के पास है ये परमाणु हथियार 

रूस के परमाणु हथियारों को तीन केटेगरी में बांटा गया है- टैक्टिकल, ऑपरेशनल टैक्टिकल और स्ट्रैटिजिक, जिनमें सरफेस-तो-सरफेस मिसाइलें, पनडुब्बी ले और हवा में लॉन्च होने वाले हथियार शामिल हैं। 

पिछले कुछ सालों में रूस ने नए और सबसे आधुनिक परमाणु हथियार विकसित किए है, तो आइये जानते है रूस के पास कौन-कौन से विध्वंसक परमाणु हथियार है -  

कैन्यन न्यूक्लीयर टोरपीडो (Kanyon nuclear torpedo)

यह पानी के नीचे चलने वाला, सबसे नया और सबसे शक्तिशाली मानव रहित परमाणु-संचालित ड्रोन है। यह विशाल टोरपीडो वाला वह परमाणु हथियार है जो सुनामी जैसे विनाश का कारण बन सकता है। यह 185 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकती है। इसकी खास बात इसकी गति नहीं बल्कि इसकी मारक क्षमता है क्योंकि यह तटीय क्षेत्रों को बर्बाद कर सकता है। 

इस घातक हथियार का पहला परीक्षण 2016 में किया गया था और हाल ही में इसने समुद्री ट्रायल पूरा किया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि सभी टेस्ट हो जाने के बाद, ऐसे 30 हथियारों को चार सबमरीन पर तैनात किया जाएगा। 

किंझाल मिसाइल (Kinzhal Missile)

रूस के परमाणु हथियारों में से एक किंझाल भी है जिसे हवा में लॉन्च किया जाता है। इसकी रेंज 2,000 किमी है और यह लगभग 480 किलोग्राम के परमाणु  पेलोड ले जा सकती है।

यह 2019 में रूसी वायु सेना के मिग-31 लड़ाकू विमानों में फिट किया गया था।  
 
टुपलेव टीयू-160 (Tuplev Tu-160)

इसे हथियार को ब्लैकजैक भी कहा जाता है, यह परमाणु बम का सबसे नया वर्जन है। सोवियत संघ के विभाजन के बाद इसका निर्माण बंद कर दिया गया था, लेकिन बम गिराने वाले इस विमान को फिर से बनाया जा रहा है।

यह परमाणु पेलोड के साथ लंबी दूरी की परमाणु मिसाइल भी ले जा सकता है।

अवंगद (Avangad)

अवंगद एक हाइपरसोनिक ग्लाइड कैरियर है, जिसका इस्तेमाल इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए किया जाता है। यह परमाणु पेलोड ले जाने में सक्षम है। कन्वेंशन बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन की खासियत यह है कि यह कम ऊंचाई पर तेज गति से काम करता है। 

2015 में अवंगद का पहला टेस्ट किया गया था और 2018 तक यह प्रोडक्शन के लिए तैयार हो गया था। दिसंबर 2019 में, इसे रूस के परमाणु हथियारों में शामिल किया गया। 

टोपोल- एम (TOPOL- M)

यह 11,000 किमी की रेंज वाली एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है। यह 17,000 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती है।  इसे एक ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा जाता है। 

ऐसी 450-500 मिसाइलों को एक साथ लॉन्चर पर फिट किया जाता है। इसका पहला टेस्ट 1994 में हुआ था और इसका इस्तेमाल 2000 से किया जा रहा है।  

RSM56 बुलावा (RSM56 Bulava)

यह सबमरीन से लॉन्च होने वाली 8,000-8,500 किमी की रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 2014 से काम कर रही है। इन मिसाइलों को रूस की नई बोरी-क्लास की पनडुब्बियों पर तैनात किया जाएगा।

हर पनडुब्बी ऐसी 16 मिसाइलें ले जाने में सक्षम है। इसका निर्माण 1998 से शुरू किया गया था और इसका परिक्षण 2004 में किया गया था। 

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