यादों में जिंदा है कल्पना चावला, ऐसे हुई थी स्पेस में मौत
यादों में जिंदा है कल्पना चावला, ऐसे हुई थी स्पेस में मौत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर किसी को एक न एक दिन इस दुनिया को अलविदा कहना है, मगर कुछ लोग सिर्फ जीने के लिए आते हैं। मौत महज उनके शरीर को खत्म करती है, यादों में वे हमेशा जिंदा रहते हैं। कुछ ऐसी ही है, हरियाणा के एक छोटे से शहर करनाल से निकलकर अंतरिक्ष की दुनिया तक पहुंची कल्पना चावला की कहानी। अक्सर कल्पना कहा करती थीं "मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी।" कल्पना चावला भारत की पहली महिला थी जो अंतरिक्ष में गई थी। आज से ठीक 15 साल पहले 1 फरवरी 2003 को कल्पना चावला का अंतरिक्ष यान "कोलंबिया" पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में कल्पना चावला सहित 7 एस्ट्रोनॉट की मौत हो गई थी। कल्पना चावला की यह दूसरी अंतरिक्ष यात्रा थी।
ऐसे हुआ था हादसा
1 फरवरी 2003, स्पेस शटल कोलंबिया का 28वां मिशन, समय सुबह 08 बजकर 40 मिनट। 31 दिन, 14 घंटे और 54 मिनट अंतरिक्ष गुजारने के बाद कल्पना चावला सहित 7 एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष की यात्रा कर पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे थे। सब कुछ ठीक-ठाक था। स्पेश शटल के सभी सिस्टम ठीक तरीके से काम कर रहे थे। स्पेस शटल कोलंबिया धरती पर लैंड करने के लिए पूरी तरह से तैयार था। सभी एस्ट्रोनॉट ने अपने स्पेस सूट पहन लिए थे। रूटीन लैंडींग के लिए एस्ट्रोनॉट पूरी तरह से तैयार हो चुके थे। 08.44 मिनट पर कोलंबिया ने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया। अभी भी सब कुछ नॉर्मल था। तभी लैंडिंग से ठीक 22 मिनट पहले 8 बजकर 54 मिनट पर शटल के सेंसर से अनयूजुअल रीडिंग नोट की गई।
शटल के बाएं भाग के मुख्य टायर कोष्ठ में तापमान तेज़ी से बढ़ने की सूचना मिलती है। 08:58 पर यान के बाएं हिस्से में लगे तीन तापमान सेंसरों ने काम बंद कर दिया। इस वक़्त कोलंबिया धरती से करीब चालीस मील ऊपर था। उसकी रफ़्तार 18 मैक से ज़्यादा थी, यानी आवाज़ की रफ़्तार से 18 गुना तक ज़्यादा। इस वक़्त वो अपनी मंज़िल यानी कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से 1400 मील दूर था। यान इस वक़्त बाईं ओर झुका हुआ था, करीब 57 डिग्री के कोण पर। 08:59 पर टायरों के तापमान और उनमें भरी हवा का दबाव बताने वाले सेंसरों से कोई सूचना नहीं। मिशन कंट्रोल से शटल को संदेश: "कोलंबिया, ह्यूस्टन। हम आपके टायर प्रेशर के संदेश देख रहे हैं। हमने पिछला संदेश कॉपी नहीं किया।" बहुत हल्की सी देरी के बाद शटल से जवाब आया: "रोजर... एर..." और संपर्क टूट गया। अगले कुछ मिनट तक कोलंबिया को एक के बाद एक संदेश भेजे गए- लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। 09 बजकर 16 मिनट पर धरती से 38 माइल्स ऊपर स्पेस शटल में विस्फोट हुआ। शटल में मौजूद सभी 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई। अब बस सबके जहन में सिर्फ एक ही सवाल था कहा गलती हुई? टेक्सास के पब्लिक सेफ़्टी डिपार्टमेंट ने करीब दो हज़ार जगह यान के टुकड़े गिरने की सूचना दी। यह टुकड़े डलास के दक्षिण पूर्व में 170 मील दूर बसे छोटे से कस्बे नैकोग्डोशेस से लेकर लुइज़ियाना प्रांत की सीमा तक के इलाके में पाए गए।
ये थी हादसे की वजह
माना जाता है कि ये हादसा कोलंबिया स्पेस शटल के फोम इन्सूलेशन के एक टुकड़े के टूटने के कारण हुआ था। रिपोर्ट्स के मुताबिक स्पेस शटल के बाहरी टैंक से इन्सूलेशन फोम का एक दुकड़ा टूटकर यान के लेफ्ट विंग से टकरा गया। इससे पहले भी कई बार शटल लॉन्च में फॉम शेडिंग के कारण हल्के डैमेज देखे गए थे। लेकिन कोलंबिया स्पेश शटल को इससे बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। लेफ्ट विंग में हुए डैमेज के कारण जब कोलंबिया अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया तो गर्म गैसों से विंग टूट गया और यान अनियंत्रित होकर टूट गया।
कल्पना के करनाल से नासा का सफर
कल्पना हरियाणा के करनाल में बनारसी लाल चावला के घर 17 मार्च 1962 को जन्मी थीं. अपने चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं. प्यार से घर में उन्हें मोंटू पुकारा जाता था. कल्पना में 8वीं क्लास के दौरान ही अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर कर दी थी, लेकिन उनके पिता की इच्छा थी कि वह डॉक्टर या टीचर बनें. उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. स्कूली पढ़ाई के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज 1982 में ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और 1984 टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया. कल्पना के बारे में कहा जाता है कि वह आलसी और असफलता से घबराने वाली नहीं थीं।
स्पेस से की इंडियन पीएम से बात
कल्पना चावला सबसे पहले 1997 में स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से अंतरिक्ष में गई थी। यहां पर वह मिशन स्पेशलिस्ट थी। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल ने इस दौरान कल्पना चावला से बात की थी। गुजराल ने कहा हमे आप पर गर्व है। भारत का हर एक नागरिक आप पर गर्व करता है। उन्होंने इसके लिए कल्पना चावला को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जब मैं आपके बारे में सोचता हूं। आपने लंबी जर्नी भारत के करनाल से स्पेस तक ट्रेवल की है। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है। इस दौरान पीएम गुजराल ने कवि इकबाल की वो पक्तिंया भी सुनाई। पीएम गुजराल ने कहा सितारों से आगे जहां और भी है। उन्होंने आगले कल्पना चावला से पूछा की स्पेस में वेटलेस होकर आप कैसा फील कर रही है। कल्पना ने भी अपना पूरा एक्सपीरियंस प्रधानमंत्री के साथ शेयर किया। उन्होंने कल्पना चावला के साथ ऑन बोर्ड एस्ट्रोनॉट्स को भारत आने का भी न्योता दिया। कल्पना चावला ने जवाब दिया कि वह जरूर इंडिया आएंगी। बताचीत के अंत में एक बार फिर पीएम गुजराल ने कल्पना चावला को शुभकामनाएं दी।