Farmers protest: 11वें दौर की बैठक बेनतीजा, सरकार ने किसानों से दो टूक कहा- इससे बेहतर कुछ नहीं कर सकते, अगली मीटिंग तय नहीं
Farmers protest: 11वें दौर की बैठक बेनतीजा, सरकार ने किसानों से दो टूक कहा- इससे बेहतर कुछ नहीं कर सकते, अगली मीटिंग तय नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि कानून के मसले पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 11वें दौर की वार्ता बेनतीजा रही। आज की बैठक में सरकार ने किसानों से कहा कि हम इससे बेहतर कुछ नहीं कर सकते। वहीं किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर कहा कि हमें ये स्वीकार नहीं हैं। हम तीनों कानूनों के वापसी के बिना आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे। सरकार और किसानों के बीच अगली वार्ता की तारीख तय नहीं हुई है।
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, लंच ब्रेक से पहले किसान नेताओं ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग रखी। सरकार ने कहा कि वो संशोधन के लिए तैयार है। मंत्रियों ने किसान नेताओं से प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा। वहीं, हमने सरकार से हमारे प्रस्ताव पर विचार करने को कहा। इसके बाद मंत्री बैठक छोड़कर चले गए।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा, अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया।
एक अन्य किसान नेता ने कहा, सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानूनों पर सरकार डेढ़ साल तक रोक लगाने के लिए तैयार है। इससे बेहतर प्रस्ताव सरकार नहीं दे सकती। नरेंद्र तोमर ने कहा कि अगर किसान बातचीत करने को तैयार हैं तो ये कल भी हो सकती है लेकिन विज्ञान भवन कल खाली नहीं है। कृषि मंत्री ने बातचीत के लिए किसानों का धन्यवाद किया।
इससे पहले बुधवार को 10वें दौर की बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था, आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए। किसान यूनियन क़ानून वापसी की मांग पर अड़ी थी और सरकार खुले मन से क़ानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी।
कृषि मंत्री ने कहा था, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार क़ानूनों को स्थगित किया है। सरकार 1-1.5 साल तक भी क़ानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है। तोमर ने कहा, इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करें और इसका समाधान ढूंढे। हालांकि किसानों ने बैठक के बाद सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।