मणिपुर हिंसा: मणिपुर मामले की सुनवाई टली, चीफ जस्टिस मौजूद नहीं, कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान

  • मणिपुर हिंसा को लेकर सुनवाई टली
  • केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल किया हलफनामा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-28 05:27 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 28 जुलाई को मणिपुर हिंसा और दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने वाले मामले को लेकर सुनवाई होने वाली थी। इस केस की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच करने वाली थी। लेकिन मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के न होने पर सुनवाई टल गई है।

19 जुलाई को मणिपुर से दिल को झकझोर देने वाली वीडियो सामने आया था। वीडियो में देखा गया था कि कैसे भीड़ दो महिलाओं के कपड़े उतारकर उनकी परेड निकाल रहा था। इस वीडियो के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि हिंसा को रोकने के लिए वो क्या कार्रवाई कर रहे हैं। इसी मामले में आज यानी 28 जुलाई को सुनवाई होने वाली थी लेकिन सीजेआई के गैर मौजूदगी में नहीं हो पाई। इसी मसले पर केंद्र सरकार ने बीते दिन यानी 27 जुलाई को शीर्ष अदालत में  हलफनामा दाखिल किया था।

केंद्र ने हलफनामे में क्या कहा?

अपने हलफनामे में सरकार ने अदालत से कहा है कि, राज्य सरकार की अनुमति से मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी गई है। इस मामले का तेजी से निपटारा जरूरी है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कोर्ट से अपील की है कि मुकदमा राज्य से बाहर ट्रांसफर हो और सुनवाई करने वाली निचली अदालत को यह निर्देश भी दिया जाए कि वो चार्जशीट दाखिल होने के 6 महीने के अंदर अपना फैसला सुना दें।

 हिंसा में 160 से ज्यादा लोग गंवा चुके हैं अपनी जान 

मणिपुर हिंसा की आग में धधक रहा है। केंद्र की मोदी सरकार अपनी पैनी नजर बनाई हुई है। मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए 35 हजार से अधिक सुरक्षाबल तैनात हैं ताकि प्रदेश में शांति बनी रहे लेकिन अभी तक इसका असर नहीं देखने को मिल रहा है। मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि हजारों की संख्या में लोग घायल हुए हैं।

हिंसा भड़कने का मुख्य कारण

  • हिंसा की मुख्य वजह मणिपुर हाईकोर्ट का एक आदेश, अदालत ने प्रदेश के बीरेन सरकार को आदेश दिया की वो मैतेई समुदाय को जनजाति आदिवासी का दर्जा दें।
  • अदालत के इस आदेश पर कुकी समुदाय और संगठनों ने तुरंत अपना विरोध जताया और 3 मई को प्रदेश के चुराचांदपुर जिले में इसके विरोध में आदिवासी एकता मार्च निकाला। इसी दौरान मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसक झड़प की पहली खबर आई थी जो अब तक जारी है।
  • 40 फीसदी आबादी के साथ कुकी समुदाय मणिपुर के 90 फीसदी पहाड़ी इलाकों पर निवास करता है जबकि अधिक आबादी होने के बाद भी मैतेई समुदाय का हक 10 फीसदी क्षेत्र पर ही है। 53 फीसदी आबादी वाले मैतेई समुदाय के लोग राज्य के मैदानी इलाकों में निवास करते हैं।
  • 40 फीसदी होने के बावजूद अधिक इलाकों पर कब्जे के साथ कुकी समुदाय के लोग घाटी में भी रह सकते हैं जबिक मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में न जा सकते हैं न ही वहां की जमीन खरीद कोई अन्य काम कर सकते हैं।
  • मैतेई समुदाय को जनजाति आदिवासी का दर्जा मिल जाने पर कुकी समुदाय के समान हो जाएंगे, वो भी कहीं जाकर और अपना धंधा शुरू कर सकते हैं। इसी को देखते हुए कुकी समुदाय ने सबसे पहले विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया और धीरे-धीरे विरोध की चिंगारी आग की लपटों में तब्दील होती गई और आज पूरा प्रदेश हिंसा की आग में जल रहा है।
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