मद्रास हाईकोर्ट ने मंदिर उत्सवों के आयोजनों पर उठाए सवाल, कहा भक्ति नहीं, शक्ति प्रदर्शन का मंच बन गए है उत्सव
- मंदिर उत्सवों के आयोजनों पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
- मंदिर उत्सव मंचों से बिगड़ रहा है सांप्रदायिक सौहार्द
- मंचों से बढ़ रहा है हिंसा और तनाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने मंदिर उत्सवों के आयोजनों पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंदिर उत्सव अब सिर्फ समूहों के शक्ति प्रदर्शन बन गए है, जो समूहों में हिंसा को बढ़ावा दे रहे है। हाईकोर्ट में के थंगारासु उर्फ के थंगाराज की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस आनंद वेंकटेश ने ये कहते हुए अफसोस जताया कि मंदिर उत्सव सिर्फ समूहों के लिए उनकी ताकत दिखाने का मंच बन गए हैं। इन मंचों के संचालन में वास्तविकता में कोई भक्ति नहीं दिखती। ये त्योहार हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जहां विभिन्न समूह एक-दूसरे से लड़ते हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे मंदिरों को बंद करना बेहतर है। कोर्ट ने कहा, जब तक कोई व्यक्ति अपना अहंकार छोड़कर आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर नहीं जाता, तब तक मंदिर होने का पूरा उद्देश्य व्यर्थ है।
जस्टिस आनंद ने आगे कहा कि मंदिर का उद्देश्य भक्तों को शांति और खुशी के लिए भगवान की पूजा करने में सक्षम बनाना है। लेकिन मंदिर उत्सव समूहों में हिंसा को बढ़ावा दे रहे है। और ये मंदिर उत्सव मंच समूहों के लिए अपनी शक्ति दिखाने का केंद्र बनता जा रहा है कि किसी विशेष इलाके में कौन शक्तिशाली है, उन्होंने आगे कहा कि इन त्योहारों के आयोजनों में कोई भक्ति शामिल नहीं है, बल्कि यह एक समूह या दूसरे के शक्ति का प्रदर्शन बन गया है।जो मंदिर उत्सव आयोजित करने के मूल उद्देश्य को पूरी तरह से विफल कर देता है।
क्या है मामला
अमर उजाला की खबर के मुताबिक कोर्ट के थंगारासु उर्फ के थंगाराज की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें अरुलमिघु श्री रूथरा महा कलियाम्मन अलयम के वंशानुगत ट्रस्टी होने का दावा करते हुए मंदिर में उत्सव आयोजित करने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि यह उत्सव हर साल आदि माह के दौरान आयोजित किया जाता है और इस वर्ष भी 23 जुलाई से 1 अगस्त तक आयोजित किया जाना है। याचिकाकर्ता ने सुरक्षा के लिहाज से पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।