कुछ ही घंटे में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा चंद्रयान, लैडिंग से पहले चांद की सतह का इस तरह करेगा मुआयना, उतरते ही सबसे पहले करेगा ये काम

  • चांद पर अब भारत!
  • लैंडिंग के लिए चंद्रयान-3 पूरी तरह तैयार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-23 07:51 GMT

डिजिटल डेस्क,बेंगलुरु। भारत का मिशन मून 'चंद्रयान-3' आज शाम यानी 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है। जिसके लिए इसरो ने पूरी तैयारी कर ली है। इसरे ने बताया कि, चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शाम 5 बजकर 45 मिनट से शुरू की जाएगी, और सब कुछ सही रहा तो 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडिंग सफलतापूर्वक हो जाएगी। तो आइए जानते हैं कि, भारत के इस ऐतिहासिक कदम को कैसे सॉफ्ट लैंडिंग कराने की तैयारी चल रही है और लैंडिग के बाद चंद्रयान-3 का क्या होने वाला है।

लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया समझें

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इसरो अधिकारियों समेत कई लोगों का कहना है कि लैंडिंग प्रक्रिया के 17 मिनट बेहद जोखिम भरे रहने वाले हैं क्योंकि इस दौरान पूरी प्रक्रिया ऑटोनॉमस होगी, लैंडर को अपने इंजनों को सही समय और ऊंचाई पर चालू करना होगा, सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल करना होगा और आखिर में सतह छूने से पहले किसी भी बाधा या पहाड़ी या क्रेटर की जानकारी के लिए चंद्रमा की सतह को स्कैन करना बेहद ही जरूरी होगा।

चांद पर लैंडिंग को लेकर इसरो के वैज्ञानिको का कहना है कि, लैंडिंग के लिए करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर पॉवर बैंकिंग स्टेज में प्रवेश करेगा। उसके बाद स्पीड को धीरे-धीरे कम करके चांद की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजनों को रेट्रो फायरिंग करके इस्तेमाल करना शुरू करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि लैंडर हादसे का शिकार न हो क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी काम करेगा।

हवाई जहाज से दस गुना अधिक रफ्तार

स्पेस एजेंसी इसरो के मुताबिक, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर केवल दो इंजनों का इस्तेमाल किया जाना है अन्य दो इंजनों को बंद करने का उद्देश्य लैंडर को आगे की ओर उतरते समय उल्टा जोर देना है। फिर करीब 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल करके सतह को स्कैन करेगा ताकि यह पता चल सके कि कहीं कोई रूकावट तो नहीं, इसके बाद यह सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर देगा।

इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, विक्रम लैंडर 1.68 किमी प्रति सेकंड के वेग यानी 6,048 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू करेगा। यह स्पीड एक हवाई जहाज से लगभग दस गुना अधिक होता है।

लैंडिंग के बाद क्या?

अगर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सॉफ्ट लैंडिंग आसानी से हो जाती है तो लैंडर विक्रम में मौजूद प्रज्ञान रोवर 14 दिनों तक चांद पर सर्च ऑपरेशन चलाएगा। जिसमें चांद पर पानी, खनिज और वायुमंडल को लेकर जांच करेगा।

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