भोपाल गैस त्रासदी: 40 साल पहले आज ही के दिन भोपाल में हुई थी मिथाइल आइसोसाइनेट लीक, चारों तरफ थीं सिर्फ लाशें, लोग आज भी भुगत रहे खामियाजा
- 2 दिसंबर 1984 को हुई थी गैस त्रासदी
- आज पूरे हुए 40 साल
- हजारों की संख्य में हुई थी लोगों की मौत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भोपाल गैस त्रासदी, साल 1984 का दिल दहला देने वाला एक ऐसा हादसा जिसे आज भी लोग याद करते ही कांप उठते हैं। 2 दिसंबर 1984 की आधी रात को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड की भोपाल फैक्ट्री में मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस लीक हुई जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई। वहीं, 5 लाख से भी ज्यादा लोग अपंग या घायल हुए। इसका असर आज भी लोगों में देखने को मिलता है। आज (सोमवार) एक बार फिर लोगों के जख्म ताजा हो गए हैं क्योंकि गैस कांड को हुए पूरे 40 साल हो गए। यह हादसा दुनिया की सबसे घातक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है।
कैसे हुआ था हादसा?
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की आधी रात को सब चैन से सो रहे थे। उसी समय अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड की भोपाल फैक्ट्री में एक जहरीली गैस लीक हुई और हवा में फैल गई। लोग बताते हैं कि, पहले तो यह समझ पाना ही मुश्किल था कि हो क्या रहा है? यह गैस इतनी जहरीली थी कि लोगों की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा, सांस लेने में तकलीफ होने के साथ लोगों को चक्कर आने लगे। इमरजेंसी सायरन सुनने के बाद पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे और अस्पतालों में भीड़ लगने लगी। जानकारी है कि रात 1:15 बजे, 5 मिनट के अंदर-अंदर लगभग 1 हजार से भी ज्यादा लोग हमीदिया हॉस्पिटल पहुंच गए थे। जिनकी संख्या रात ढाई बजे तक बढ़कर चार हजार तक पहुंच गई।
कितनी जहरीली थी गैस?
आपको बता दें, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस त्रासदी में 3,787 लोगों ने जान गंवाई। वहीं, 5 लाख 74 हजार लोग घायल या अपंग हो गए। मिथाइल आइसोसाइनेट गैस पानी के रिएक्ट करने के बाद और भी ज्यादा जहरीली हो गई थी। इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि, जो लोग बच कर भागे थे उनकी आने वाली पीड़ियों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। आज भी कई बच्चे अपंग पैदा होते हैं तो कुछ को सांस लेने में तकलीफ होती है। बताया जाता है कि, 3 दिसंबर 1984 की सुबह भोपाल में मानो लाशों की चादर बिछ गई थी। चालीस साल बीतने के बाद हवाओं में तो जहरीली गैस का असर कम हो चुका है। लेकिन भोपाल के कुछ हिस्सों में और उस गैस का दंश झेल चुके परिवारों के लिए त्रासदी आज भी जारी है।